Jabalpur News: पूर्व कुलगुरु मिश्र के 5 सालों के दस्तावेज खंगाल रही टीम

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (आरडीयू) के पूर्व कुलगुरु प्रो. कपिल देव मिश्र के कार्यकाल (2018 से जनवरी 2024) के अंतिम पांच वर्षों के फैसलों और टेंडर्स की उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश पर गहन जांच चल रही है। उच्च शिक्षा विभाग ने इस जांच के लिए रीवा के अतिरिक्त संचालक आरपी सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। समिति में रीवा और शहडोल संभाग के शिक्षकों के साथ तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल हैं।

जांच टीम बुधवार से विश्वविद्यालय में मौजूद है और लगातार दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर रही है। जांच का मुख्य केंद्र लेखा विभाग है, जहां वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतें मुख्य रूप से दर्ज की गई थीं।

शुरुआती चरण में जांच टीम को सात बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि विश्वविद्यालय पहुंचने के बाद जांच समिति ने इन बिंदुओं के अलावा नए पहलुओं पर भी जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, समिति को कुछ ऐसे दस्तावेज भी सौंपे गए हैं, जिनमें वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं के प्रमाण हो सकते हैं।

जांच में कुलगुरु के 10 लाख रुपये तक के भुगतान अनुमोदन के अधिकार को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। आरोप है कि कई बार पूर्व कुलगुरु ने इस सीमा से अधिक के भुगतानों को अपनी मंजूरी दी थी। 10 लाख रुपये से अधिक के भुगतान का अधिकार कार्य परिषद के पास होता है, और अब जांच समिति यह सत्यापित कर रही है कि क्या यह नियम उल्लंघित किया गया था।

जांच का फोकस उन चार से पांच प्रभारी कुलसचिवों और तीन फाइनेंस कंट्रोलरों पर है, जिन्होंने 2018 से 2024 तक के कार्यकाल में विभिन्न जिम्मेदारियां निभाईं। अगर दस्तावेजों में अनियमितताएं पाई गईं, तो इन अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की जा सकती है।

वर्तमान कुलगुरु प्रो. राजेश वर्मा के 11 महीने के कार्यकाल को जांच प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। उनकी निगरानी में जांच टीम को पूरी सहायता और सहयोग प्रदान किया जा रहा है।

छह सदस्यों वाली इस जांच टीम को विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में ठहराने के बजाय शहर के आलीशान कलचुरी होटल में रुकवाया गया है। भोजन और अन्य व्यवस्थाओं का ध्यान कुलगुरु राजेश वर्मा और कुलसचिव डॉ. राजेश कुरारिवा स्वयं रख रहे हैं।

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