दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद पर चुनावी नामांकन पत्र में 50 लाख रुपए के लोन को छिपाने के आरोप को सही माना है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि उन्होंने एसबीआई बैंक से लिए गए लोन की जानकारी छिपाई थी। अब अगली सुनवाई 3 जनवरी को होगी, जिसमें तय होगा कि उनकी विधायकी बरकरार रहेगी या खत्म होगी।
विधायक आरिफ मसूद ने भाजपा प्रत्याशी ध्रुव नारायण सिंह की याचिका को हाईकोर्ट में निरस्त करने की अपील की थी। हालांकि हाईकोर्ट ने इस आवेदन को खारिज कर दिया। इसके बाद मसूद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दस्तावेजों को फर्जी बताया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की पुनः सुनवाई के निर्देश देते हुए मामला हाईकोर्ट को भेज दिया था।
मंगलवार को जस्टिस विवेक अग्रवाल की कोर्ट ने सुनवाई के बाद माना कि लोन के दस्तावेज सत्य और अधिकृत हैं। हाईकोर्ट ने साफ किया कि चुनाव के दौरान लोन छिपाने की शिकायत सही है और इस मामले में नई आपत्तियों पर विचार करने की जरूरत नहीं है।
भाजपा प्रत्याशी ध्रुव नारायण सिंह के वकील, सीनियर एडवोकेट अजय मिश्रा ने बताया कि कोर्ट ने मसूद की सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया है। अगर यह सिद्ध होता है कि उन्होंने जानबूझकर लोन की जानकारी छिपाई, तो भ्रष्टाचार के आरोप में उनकी विधायकी रद्द की जा सकती है।
मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदेव इसराणी ने बताया कि हाईकोर्ट से दोषी पाए जाने के बाद विधायक को ऊपरी अदालत में अपील करने का अधिकार होता है। लेकिन यदि दो या अधिक वर्षों की सजा होती है तो उनका चुनाव शून्य घोषित किया जा सकता है।
विधानसभा इस फैसले का परीक्षण करती है और कानूनी राय के आधार पर सीट रिक्त घोषित करने की अधिसूचना निर्वाचन आयोग को भेजती है। आयोग इसके बाद चुनाव प्रक्रिया शुरू करता है।
3 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई में यह स्पष्ट हो जाएगा कि आरिफ मसूद की विधायकी बचेगी या नहीं। यदि दोष साबित होता है, तो उनकी सीट रिक्त हो सकती है।