MP News: खजराना गणेश मंदिर की दानपेटियों से निकले 1.78 करोड़ रुपये, नकली नोट व बंद 2000 के नोट भी मिले

दैनिक सांध्य बन्धु (एजेंसी) इंदौर। खजराना गणेश मंदिर की दानपेटियों से इस बार कुल 1 करोड़ 78 लाख रुपये की राशि प्राप्त हुई है। मंदिर प्रबंधन द्वारा पिछले सप्ताह से दानपेटियों की गिनती की जा रही थी, जो कड़ी सुरक्षा और सीसीटीवी निगरानी में पूरी की गई। दान में नकद राशि के अलावा सोने-चांदी के आभूषण, विदेशी मुद्रा और भक्तों द्वारा लिखे गए सैकड़ों पत्र भी मिले हैं, जिनका मूल्यांकन अलग से किया जाएगा।

मंदिर प्रबंधन के अनुसार, साल में तीन बार दानपेटियों की गणना की जाती है। इससे पहले 1 अगस्त को हुई गिनती में 1 करोड़ 68 लाख रुपये प्राप्त हुए थे। मंदिर परिसर में कुल 43 दानपेटियां स्थापित हैं। कई श्रद्धालुओं ने अपनी मनोकामनाओं को लेकर पत्र लिखकर भगवान गणेश को अर्पित किए, जिनमें नौकरी, पारिवारिक विवाद और स्वास्थ्य से जुड़ी कामनाएं शामिल हैं।

प्रबंध समिति के मैनेजर घनश्याम शुक्ला ने बताया कि प्राप्त राशि को मंदिर के पीएनबी और यूनियन बैंक के खातों में जमा कर दिया गया है। सोने-चांदी और विदेशी मुद्रा को कन्वर्ट कर उनका मूल्यांकन किया जाएगा। दान राशि की गणना नगर निगम परिषद कार्यालय के अधीक्षक प्रदीप दुबे के नेतृत्व में 25 सदस्यीय टीम ने की।

नकली नोट, मोबाइल और बंद 2000 के नोट भी निकले

इस बार दानपेटियों से कुछ नकली नोट, एक मोबाइल फोन, और बड़ी संख्या में बंद हो चुके 2000 व 500 रुपये के नोट भी मिले हैं। इसके अलावा असली और नकली सोने-चांदी के आभूषण भी पाए गए हैं।

सीसीटीवी निगरानी में पूरी प्रक्रिया

मंदिर प्रबंधन ने बताया कि दान राशि की गिनती की पूरी प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरों की निगरानी और वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ की जाती है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। दान से प्राप्त राशि का उपयोग मंदिर की धार्मिक, सामाजिक और जनकल्याणकारी गतिविधियों में किया जाता है।

नए वर्ष पर उमड़ेगी श्रद्धालुओं की भीड़

दिसंबर के अंत, 31 दिसंबर और नववर्ष के अवसर पर खजराना गणेश मंदिर में हर साल भारी भीड़ रहती है। इस बार भी देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। यह मंदिर आम भक्तों के साथ-साथ राजनीतिक नेताओं, उद्योगपतियों, खिलाड़ियों और बॉलीवुड हस्तियों की भी आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है।

ऐतिहासिक महत्व

मुख्य पुजारी अशोक भट्ट के अनुसार, भगवान गणेश के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था इतनी गहरी है कि हर बार दानपेटियां खुलने पर बड़ी मात्रा में धन और मूल्यवान वस्तुएं प्राप्त होती हैं। यह मंदिर 1735 में होलकर राजघराने की महारानी अहिल्याबाई द्वारा बनवाया गया था। यहां बुधवार को सबसे ज्यादा भीड़ रहती है, जबकि शनिवार-रविवार और गणेश चतुर्दशी के 10 दिन तथा तिल चतुर्थी के दौरान रोजाना हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

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