Jabalpur News: प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में नर्सों की भारी कमी से मरीज परेशान, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में एक नर्स पर 10 मरीजों की जिम्मेदारी

Jabalpur News: प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में नर्सों की भारी कमी से मरीज परेशान, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में एक नर्स पर 10 मरीजों की जिम्मेदारी
दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में मरीजों को बेहतर उपचार मिलना मुश्किल हो रहा है। यहां पर एक नर्स को 10-10 मरीजों की देखभाल करनी पड़ रही है, जिससे उपचार की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। यह अस्पताल महाकोशल, विंध्य, बुंदेलखंड और नर्मदापुरम संभाग के मरीजों के लिए प्रमुख चिकित्सा केंद्र है, लेकिन यहां नर्स-मरीज अनुपात बेहद चिंताजनक स्थिति में है।

गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ी, देखभाल की उम्मीद घटी

हृदय, किडनी, लीवर और न्यूरो से जुड़ी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीज इस अस्पताल में बेहतर देखभाल की उम्मीद से आते हैं, लेकिन नर्सों की कमी के कारण उनकी उम्मीदें टूट रही हैं। नर्सों की संख्या पहले से ही कम है और इस बीच अस्पताल में आने वाले गंभीर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इससे मरीजों का ठीक से उपचार करना मुश्किल हो गया है।

नर्सों की वर्तमान स्थिति

- अस्पताल की क्षमता: 200 बिस्तर से बढ़कर अब 300 बिस्तर हो गई है।  

- स्वीकृत पद: 190 नर्सों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन  

- कार्यरत नर्स: केवल 125 नर्स ही फिलहाल काम कर रही हैं।  

- अवकाश पर नर्सें: लगभग 30 नर्स विविध कारणों से अवकाश पर हैं।  

- अतिरिक्त आवश्यकता: 160 नर्सों की तुरंत आवश्यकता है।  

मरीजों की संख्या और ओपीडी का दबाव

- अस्पताल में प्रतिदिन 400 से अधिक मरीज ओपीडी में आते हैं।  

- इनमें से 10 प्रतिशत मरीजों को भर्ती करना पड़ता है।  

- 15 से अधिक सर्जरी हर दिन की जाती है।  

- अस्पताल के 300 बिस्तर हर समय भरे रहते हैं, और जगह की कमी के कारण मरीजों को जमीन पर फ्लोर बेड पर उपचार देना पड़ता है।  

नर्सों की कमी से उपचार व्यवस्था चरमराई

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में नर्सों की कमी से चिकित्सा व्यवस्था लड़खड़ा गई है। अस्पताल में सिर्फ 120 नर्सें हैं, जबकि 300 मरीजों की देखभाल की जिम्मेदारी उन पर है। नर्सों को ओपीडी, ऑपरेशन थिएटर, और तकनीकी जांच में भी सहयोग करना पड़ता है, जिससे उनकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। नतीजन, वार्ड में भर्ती मरीजों की देखभाल में कमी आ रही है और इलाज की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।

मरीजों के स्वजनों से रोजाना विवाद

अधिकतर मरीज गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचते हैं और उनके परिवारजन त्वरित देखभाल की उम्मीद करते हैं। लेकिन एक नर्स पर कई मरीजों की जिम्मेदारी होने के कारण देखरेख में परेशानी होती है। इस वजह से अक्सर मरीजों के स्वजन अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हैं, जिससे रोजाना विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है। सर्जरी के बाद मरीजों की निरंतर देखभाल में भी कमी की संभावना बनी रहती है।

भविष्य की योजनाएं

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए नर्सों के अतिरिक्त पदों के सृजन का प्रस्ताव रखा गया है। इसके लिए आवश्यक प्रक्रियाएं जारी हैं ताकि जल्द ही इस गंभीर स्थिति का समाधान हो सके और मरीजों को बेहतर उपचार मिल सके।

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