दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। मध्य प्रदेश के बुधनी और विजयपुर विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के समीकरण बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण बन गए हैं। बुधनी, जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गढ़ मानी जाती है, इस बार बगावत की आशंका के चलते बीजेपी की जीत को संदिग्ध बना रही है। इसी प्रकार विजयपुर में भी कांग्रेस के आदिवासी उम्मीदवार मुकेश मलोतरा के खड़े होने से जातिगत समीकरण बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।
बुधनी में रमाकांत भार्गव को टिकट देने से असंतोष बढ़ गया है। शिवराज सिंह चौहान के समर्थक और पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह राजपूत, जिन्हें उम्मीद थी कि उन्हें टिकट मिलेगा, ने इस फैसले पर नाराजगी जताई है। उनके समर्थकों ने भी विरोध में बैठकें की हैं, जिससे बीजेपी की स्थिति कमजोर होती दिखाई दे रही है।
विजयपुर में बीजेपी को अपने ही नेता सीताराम आदिवासी को मनाने में काफी प्रयास करना पड़ा, ताकि वे कांग्रेस से चुनाव न लड़ें। हालांकि, कांग्रेस ने मुकेश मलोतरा को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी के आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। मलोतरा की आदिवासी समुदाय पर पकड़ से जातिगत समीकरण बीजेपी के लिए चुनौती बन सकते हैं।
बीजेपी इन चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी माइक्रो-लेवल की रणनीति पर भरोसा कर रही है। पिछली बार भी 2020 के उपचुनाव में बीजेपी ने कार्यकर्ताओं की बगावत का सामना किया था, लेकिन उनकी रणनीति ने उन्हें कई सीटों पर जीत दिलाई थी। इस बार, हालांकि, सिर्फ दो सीटों के उपचुनाव हैं, फिर भी दोनों सीटों पर बीजेपी के लिए चुनौती बनी हुई है।
बुधनी और विजयपुर उपचुनाव इस बार दिलचस्प मोड़ पर हैं। राजेंद्र सिंह राजपूत के असंतोष और आदिवासी मतदाताओं पर कांग्रेस की पकड़ ने इन चुनावों को रोमांचक बना दिया है। बीजेपी के लिए ये सीटें जीतना मुश्किल हो सकता है, लेकिन यह भी मुमकिन है कि उनकी रणनीति और प्रबंधन इस संकट को हल कर सके।