दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। सतना पुलिस द्वारा महिला से छेड़खानी और मारपीट के मामले में एक निर्दोष युवक को फंसाने का मामला सामने आया है। झूठी चार्जशीट और लापरवाही भरी जांच के कारण विकास चौधरी नामक युवक और उसका परिवार 8 महीने तक परेशान रहा। मामला हाईकोर्ट पहुंचने के बाद युवक को बरी कर दिया गया, और सतना एसपी को माफी मांगनी पड़ी।
कैसे फंसा निर्दोष युवक?विकास की सेल्फी 28 जून 2024 की है। तब एसआई अमरीश द्विवेदी (राइट) पूछताछ करने के लिए महाराष्ट्र में उसकी फैक्ट्री पहुंचे थे।
4 मई 2024 को सतना जिले की एक महिला ने चार लोगों के खिलाफ मारपीट और छेड़खानी की शिकायत दर्ज कराई। इन आरोपियों में राजा, रामजी, कैलाश के साथ विकास चौधरी का नाम भी शामिल किया गया।
पुलिस ने राजा, रामजी, और कैलाश को गिरफ्तार कर लिया। विकास पर आरोप लगाते हुए उसे फरार घोषित कर दिया और 10,000 रुपये का इनाम घोषित किया।
सबूत होने के बावजूद पुलिस ने किया अनदेखाविकास के वकील दीपक तिवारी ने हाईकोर्ट में महाराष्ट्र की फैक्ट्री में पूछताछ के दौरान के फोटो कोर्ट में दिए।
विकास के परिवार ने बताया कि वह 4 अप्रैल से महाराष्ट्र में एक फैक्ट्री में काम कर रहा था।
जांच अधिकारी एसआई अमरीश द्विवेदी ने 28 जून को महाराष्ट्र जाकर सीसीटीवी फुटेज और फैक्ट्री मालिक के बयान से पुष्टि की कि विकास घटना के दिन फैक्ट्री में था।
बावजूद इसके, एसआई ने यह सबूत न तो अधिकारियों को दिए और न ही चार्जशीट में शामिल किए।
हाईकोर्ट में खुलासा और बेकसूर साबित हुआ युवक
विकास के वकील दीपक तिवारी ने 23 सितंबर को हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
कोर्ट में सीसीटीवी फुटेज, फैक्ट्री मालिक के बयान और अन्य सबूत प्रस्तुत किए गए।
जांच में पुलिस की गंभीर लापरवाही और गलत चार्जशीट दाखिल करने का खुलासा हुआ।
पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई
सतना एसपी ने मामले की दोबारा जांच कराई। नए सिरे से जांच में विकास चौधरी को निर्दोष पाया गया।
रीवा आईजी के निर्देश पर जांच अधिकारी एसआई अमरीश द्विवेदी को निलंबित कर दिया गया।
26 नवंबर को पुलिस ने हाईकोर्ट में माफी मांगी और विकास के खिलाफ केस खारिज कर दिया गया।