दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की तीन जजों की फुल बेंच ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आबकारी अधिनियम, 1915 की धारा 47 को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। इस फैसले के तहत अब जिले के कलेक्टर को अपराध में जब्त किए गए वाहन को राजसात करने का अधिकार नहीं रहेगा। यह अधिकार अब केवल ट्रायल कोर्ट यानी न्यायिक मजिस्ट्रेट को होगा।
फुल बेंच में चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत, जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और जस्टिस विवेक जैन शामिल थे। अदालत ने यह फैसला सागर निवासी राजेश विश्वकर्मा और तेंदूखेड़ा निवासी रामलाल झारिया की याचिका पर सुनाया।
बिना मालिक की जानकारी जब्त हो जाते थे वाहन
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विवेक रंजन पांडे, जयंत नीखरा और संजीव नीखरा ने पक्ष रखा। अधिवक्ता पांडे ने कोर्ट में दलील दी कि कई बार वाहन चोरी हो जाते हैं या बिना मालिक की जानकारी के अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल होते हैं, और कलेक्टर द्वारा ट्रायल से पहले ही उन्हें राजसात कर लिया जाता है। इससे वाहन मालिकों को भारी आर्थिक नुकसान होता है।
फैसले का होगा व्यापक असर
अधिवक्ता पांडे ने बताया कि यह फैसला न केवल आबकारी विभाग, बल्कि खनिज, वन, और कस्टम विभाग जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी प्रभाव डालेगा, जहां वाहनों को बिना सजा के जब्त कर लिया जाता है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सजा के बाद ही वाहन को राजसात किया जा सकता है।
लंबित मामलों पर भी लागू होगा आदेश
कोर्ट ने कहा कि यह फैसला उन सभी लंबित मामलों पर भी लागू होगा, जिनमें अब तक कलेक्टर द्वारा जब्ती या राजसात का आदेश नहीं दिया गया है। अब न्याय की प्रक्रिया के तहत ही वाहन जब्त और राजसात किए जा सकेंगे।