दैनिक सांध्य बन्धु मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने हिंदी को स्कूली शिक्षा में तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने का फैसला महज छह दिन में वापस ले लिया है। अब राज्य में छात्रों को तीसरी भाषा चुनने की आज़ादी होगी। शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे ने स्पष्ट किया कि मराठी भाषा अनिवार्य बनी रहेगी, अंग्रेज़ी दूसरी भाषा होगी और तीसरी भाषा वैकल्पिक होगी।
यह निर्णय राज्य के उन लाखों छात्रों और अभिभावकों के लिए राहत भरा है जो भाषा के चुनाव को लेकर चिंतित थे।
मुख्यमंत्री ने पहले ही दिए थे संकेत
राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बीते रविवार को पत्रकारों से बातचीत में इशारा किया था कि छात्रों को तीसरी भाषा चुनने की स्वतंत्रता दी जाएगी और हिंदी को अनिवार्य नहीं बनाया जाएगा।
पहले लिया गया था हिंदी अनिवार्य करने का फैसला
गौरतलब है कि इससे ठीक छह दिन पहले, राज्य सरकार ने पहली से पांचवीं तक के छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य कर दिया था। यह फैसला मराठी और अंग्रेजी, दोनों माध्यम के स्कूलों पर लागू होने वाला था।
NEP के तहत होगा नया शैक्षणिक ढांचा लागू
महाराष्ट्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत तीन भाषा नीति और 5+3+3+4 शिक्षा मॉडल को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। नए अकादमिक सत्र 2025-26 से पहली कक्षा के छात्रों पर इसका असर दिखेगा।
एनसीईआरटी आधारित होंगी टेक्स्ट बुक्स
राज्य की नई टेक्स्ट बुक्स एनसीईआरटी के करिकुलम पर आधारित होंगी, लेकिन सामाजिक विज्ञान और भाषाओं में महाराष्ट्र के लोकल संदर्भ जोड़े जाएंगे। इन किताबों का प्रकाशन बालभारती द्वारा किया जाएगा, जो राज्य का टेक्स्ट बुक ब्यूरो है।