दैनिक सांध्य बन्धु। लोकसभा चुनाव में चरण दर चरण जुबानी जंग तल्ख से और तल्ख होती जा रही है. जातिगत जनगणना को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां सत्ताधारी गठबंधन और भाजपा को घेर रही हैं। विपक्ष संविधान को खतरे में और भाजपा को आरक्षण विरोधी बताने में जुटा है तो वहीं अब सत्ताधारी गठबंधन ने भी आरक्षण की पिच पर ताबड़तोड़ बैटिंग शुरू कर दी है। सरकार की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोर्चा संभालते हुए विपक्षी कांग्रेस पर काउंटर अटैक करते हुए उसे ओबीसी और एससी-एसटी का विरोधी बताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने तेलंगाना के जहीराबाद में कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि ये वो लोग हैं जो संसद की कार्यवाही रोकते हैं, चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हैं, ईवीएम पर सवाल उठाते हैं। अब ये अपने वोट बैंक के लिए संविधान को बदनाम करने निकले हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने दावा किया कि जब तेलंगाना की 26 जातियां ओबीसी स्टेटस की मांग कर रही हैं, कांग्रेस ने इनकी मांग पर गौर नहीं किया और रातोरात मुस्लिमों को ओबीसी कैटेगरी में शामिल कर दिया। पीएम मोदी ने तल्ख अंदाज में कहा-कांग्रेस वाले सुन लें, उनके चट्ट-बट्टे सुन लें, उनकी पूरी जमात सुन ले कि जब तक मोदी जिंदा है, दलितों का, एससी-एसटी और ओबीसी का आरक्षण धर्म के आधार पर के आधार पर मुसलमानों को नहीं देने दूंगा। कांग्रेस और विपक्षी दलों की ओर से आरक्षण समाप्त करने के आरोप के बाद अब पीएम मोदी खुलकर मुस्लिम आरक्षण के विरोध में उतर आए हैं ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जातिगत जनगणना के मुद्दे पर आक्रामक विपक्ष के आरक्षण राग पर पीएम मोदी ने मुस्लिम आरक्षण के विरोध का दांव चल दिया है तो इसके पीछे क्या है?
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