दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। मध्य प्रदेश में 12 साल पहले व्यापम के जरिए हुई 45 परिवहन आरक्षकों की नियुक्तियों को हाल ही में निरस्त कर दिया गया है। इस मामले में कांग्रेस ने सीबीआई की अब तक की जांच पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट के वरिष्ठ जज की निगरानी में जांच कराने की मांग की है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने कहा कि व्यापम परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर घोटाले हुए हैं, जिनकी पारदर्शी जांच जरूरी है।
यादव ने आरोप लगाया कि सीबीआई के अधिकारी खुद भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए थे, जिससे जांच की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने कुछ गलत नहीं किया है, तो जांच को सार्वजनिक मंच पर लाना चाहिए। यादव ने कहा कि प्रदेश में पत्रकारों और आरटीआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ हुई घटनाओं की जांच भी नहीं हो रही है, जिससे सरकार की मंशा पर संदेह होता है।
कांग्रेस पार्टी ने पिछले 10-12 वर्षों से व्यापम घोटाले को उजागर करने का प्रयास किया है। पार्टी के नेताओं ने लगातार सरकार और जनता के सामने इस घोटाले को लेकर सवाल उठाए हैं। अब, 45 परिवहन आरक्षकों की नियुक्तियों को निरस्त करने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि परीक्षाओं में अनियमितताएं हुई थीं। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि इससे प्रदेश के युवाओं का भविष्य बर्बाद हुआ है और जनता जानना चाहती है कि सीबीआई ने इस मामले में क्या जांच की है।
कांग्रेस ने सीबीआई की कार्यशैली पर कई सवाल उठाए हैं, जिसमें प्रमुख रूप से यह पूछा गया कि इतने बड़े घोटाले में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री और व्यापम की मुखिया रंजना चौधरी से पूछताछ क्यों नहीं की गई? उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई के जांचकर्ता अधिकारी मुख्यमंत्री निवास पर आधी रात को उनसे मिलने गए थे, जिससे जांच की पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं।
इसके अलावा, कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि पीएमटी परीक्षा घोटाले में आरोपित प्रमुख पदाधिकारी द्वारा दिए गए बयानों के बावजूद संबंधित मंत्रियों से पूछताछ क्यों नहीं की गई? पार्टी ने यह भी पूछा कि व्यापम में 2008 तक के दस्तावेज नष्ट क्यों और कैसे हुए, जबकि ऐसे दस्तावेजों को सुरक्षित रखने का नियम था।
कांग्रेस ने इस घोटाले की पूरी सच्चाई जनता के सामने लाने और उच्च न्यायालय के जज की निगरानी में निष्पक्ष जांच की मांग की है।