दैनिक सांध्य बन्धु रेवाड़ी। हरियाणा विधानसभा चुनावों में खाप पॉलिटिक्स का असर एक बार फिर दिखने वाला है। इस बार खापों से जुड़े 4 बड़े चेहरे चुनावी मैदान में उतरकर किस्मत आजमा रहे हैं। खाप पंचायतों का हरियाणा की राजनीति और सामाजिक फैसलों में गहरा दखल है।
आम आदमी पार्टी (AAP) ने अहलावत खाप से जुड़ीं सोनू अहलावत को झज्जर की बेरी सीट से टिकट दी है, जबकि 66 गांवों की खाप पंचायत ने उचाना कलां सीट पर पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के खिलाफ आजाद पालवा को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतारा है। बेरी सीट से ही अहलावत खाप के अमित अहलावत और 360 महरौली खाप के प्रमुख गोवर्धन सिंह भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
बेरी सीट पर 1,82,798 वोटर्स में से अधिकांश जाट समुदाय से हैं। यहां कांग्रेस ने अनुभवी नेता रघुबीर कादियान को फिर से मैदान में उतारा है, जबकि बीजेपी ने संजय कबलाना को टिकट दी है। खाप उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से इस बार चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो गया है और कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
हरियाणा में खाप पंचायतों का राजनीतिक असर हमेशा से अहम रहा है। 2014 में खापों ने कांग्रेस का समर्थन किया था, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। 2019 के विधानसभा चुनाव में खाप का प्रभाव देखने को मिला, जब सांगवान खाप के सोमबीर सांगवान ने भाजपा उम्मीदवार बबीता फोगाट को हराया था।
खापों का प्रभाव केवल राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि किसान आंदोलन और खिलाड़ियों के विरोध-प्रदर्शन में भी इनकी अहम भूमिका रही है। खाप पंचायतों ने 2023 में पहलवानों के आंदोलन में भी सरकार पर दबाव बनाने का काम किया था।
हरियाणा में करीब 120 से अधिक खापें हैं, जिनका जातिगत और सामाजिक फैसलों में महत्वपूर्ण योगदान है। ये पंचायतें राज्य के जाट बाहुल्य क्षेत्रों में आज भी बेहद प्रभावी हैं।