Jabalpur News: जिला और मेडिकल अस्पताल में अग्नि सुरक्षा के इंतजाम अधूरे, 10 माह में 14 नोटिस

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। दो साल पहले न्यू लाइन अस्पताल में हुए अग्निकांड में 10 लोगों की मौत के बावजूद जिले के दो प्रमुख सरकारी अस्पतालों, जिला विक्टोरिया अस्पताल और नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, में अग्नि सुरक्षा के आधुनिक उपाय नहीं किए गए हैं। इन अस्पतालों में अग्नि दुर्घटनाओं से बचाव के लिए आवश्यक आधुनिक उपकरणों की स्थापना का काम अभी तक अधूरा है।

10 माह में 14 नोटिस के बाद भी अधूरी सुरक्षा

विक्टोरिया जिला अस्पताल में फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने का काम अक्टूबर 2023 में शुरू हुआ था, जो अब तक अधूरा है। ठेका कंपनी 'कीर्ति एसोसिएट्स' को पिछले 10 महीनों में अस्पताल ने 14 नोटिस दिए हैं, पर काम की प्रगति सुस्त है, जिससे अस्पताल में भर्ती मरीजों की सुरक्षा पर खतरा बना हुआ है।

मेडिकल कॉलेज की पुरानी संरचना सुरक्षा में बाधक

नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज का अस्पताल भवन लगभग 70 वर्ष पुराना है, और इसकी संरचना अग्नि सुरक्षा के आधुनिक उपकरणों के अनुकूल नहीं है। इस कारण यहां अग्नि सुरक्षा के आधुनिक उपायों की स्थापना में बाधाएं आ रही हैं। 

आधे वार्डों में पाइप लाइन नहीं, नए भवन का प्रस्ताव

विक्टोरिया अस्पताल में कई वार्डों तक फायर फाइटिंग पाइपलाइन नहीं पहुंच सकी है। ठेका कंपनी की लापरवाही के कारण एक लाख रुपये का अर्थदंड और काली सूची में डालने का प्रस्ताव भी दिया जा चुका है। मेडिकल कॉलेज के पुराने भवन में आधुनिक सुरक्षा उपकरणों की स्थापना पर 11 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है। इस संबंध में पुराने भवन को तोड़कर नए भवन के निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।

अग्नि सुरक्षा में सुधार के प्रयास

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय मिश्रा के अनुसार, जिला अस्पताल में आधुनिक अग्नि शमन उपकरण स्थापित करने की प्रक्रिया जारी है, और ठेका कंपनी को शीघ्र कार्य पूरा करने के लिए निर्देशित किया जा रहा है। वहीं, मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. नवनीत सक्सेना का कहना है कि अग्नि सुरक्षा के उन्नयन के लिए लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिए गए हैं और वैकल्पिक व्यवस्थाएं भी की गई हैं।  

स्थिति

- मेडिकल कॉलेज के पुराने अस्पताल भवन में 500 से अधिक बिस्तर हैं।

- विक्टोरिया जिला अस्पताल के पुराने भवन में लगभग 300 बिस्तर हैं।

- दोनों अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के उपाय पर्याप्त नहीं हैं; केवल सिलेंडर वाले यंत्र और रेत की बाल्टी ही हैं।

इन उपायों की कमी के कारण, अस्पताल में भर्ती मरीजों और स्टाफ की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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