दैनिक सांध्य बन्धु नई दिल्ली। भारत में मंकीपॉक्स (MPox) का पहला मामला सामने आया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को इसकी पुष्टि की है। एक व्यक्ति, जो हाल ही में विदेश से लौटा था, 8 सितंबर को मंकीपॉक्स के संदेह में आइसोलेशन में रखा गया। उसकी जांच में मंकीपॉक्स के वेस्ट अफ्रीकन क्लेड 2 स्ट्रेन की पुष्टि हुई है। यह स्ट्रेन WHO की ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी में शामिल क्लेड 1 नहीं है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मरीज की स्थिति स्थिर है और उसे आइसोलेशन में रखा गया है। उसके संपर्क में आए लोगों की ट्रेसिंग की जा रही है। इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मंकीपॉक्स को लेकर एडवाइजरी जारी की है। इसमें मंकीपॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए हेल्थ एक्शन लेने और स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। इसके बाद भारत ने 20 अगस्त को अपने सभी पोर्ट्स, एयरपोर्ट्स और पाकिस्तान व बांग्लादेश से सटे बॉर्डर पर अलर्ट जारी किया। मंकीपॉक्स की शुरुआत अफ्रीकी देश कांगो से हुई थी, और इसके मामले अब कई देशों में तेजी से फैल रहे हैं।
मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है, जो चेचक जैसी होती है। इससे संक्रमित व्यक्ति में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं और शरीर पर मवाद से भरे घाव हो जाते हैं। हालांकि, यह वायरस ज्यादातर मामलों में घातक नहीं होता, लेकिन कभी-कभी यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
भारत में 2022 से अब तक मंकीपॉक्स (Clade 2) के 30 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया था। देश में मंकीपॉक्स की जांच के लिए 32 प्रयोगशालाएं मौजूद हैं।
उत्तर प्रदेश में भी मंकीपॉक्स को लेकर सतर्कता बरती जा रही है। राज्य सरकार ने सभी 75 जिलों में आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग और संदिग्ध मामलों को आइसोलेशन में रखने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, लखनऊ स्थित KGMU को नोडल सेंटर बनाया गया है।