इस पर प्रतिवादी के वकील अतिरिक्त महाधिवक्ता अमित सेठ ने जबाव दाखिल करने के लिए अंतिम अवसर के रूप में समय की मांग की। जिस पर न्यायालय के द्वारा प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, निदेशक स्वास्थ्य सेवाएँ, रजिस्ट्रार, आयुर्वेद, यूनानी एवं प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड, प्रबंध निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, क्षेत्रीय निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, कलेक्टर जबलपुर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर और जिला कार्यक्रम प्रबंधक जबलपुर को 4 सप्ताह के भीतर जबाव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान याचिकाकताओं के अधिवक्ता पारितोष गुप्ता ने न्यायालय को बताया कि कोविड महामारी के प्रभावी प्रबंधन हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन भोपाल के द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर द्वारा शुभम अवस्थी, रामकुमार चौधरी, संतोष कुमार मार्को आदि फर्जी डिग्री और बिना डिग्री के झोलाछाप डाक्टरों के दस्तावेजों का सत्यापन किये बिना ही चिकित्सक के रूप में चयन कर लिया गया था।
जिसमें से विक्टोरिया अस्पताल में चिकित्सक की नियुक्ति पाने के लिए झोलाछाप डाक्टर शुभम अवस्थी ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से आयुर्वेद स्नातक की कूटरचित डिग्री बनाकर पेश की थी। उस डिग्री में अवस्थी ने यह झूठ भी छलपूर्वक अंकित किया था कि उसने शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय जबलपुर से पढ़कर यह डिग्री प्राप्त की थी। इतना ही नहीं, फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवस्थी के द्वारा मध्यप्रदेश आयुर्वेद तथा यूनानी चिकित्सा पद्धति एवं प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड भोपाल में ऑफलाइन पंजीयन मूड से पंजीयन क्रमांक 56970 प्राप्त किया जबकि इस नंबर पर वास्तव में डॉक्टर इरम जहां का नाम रजिस्टर में दर्ज है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय को धोखा देकर शुभम अवस्थी के द्वारा आयुष चिकित्सक का पद और वेतन प्राप्त कर 1 साल तक मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया।
शुभम अवस्थी झोलाछाप डॉक्टर होने पर भी स्वयं के नाम के आगे डाक्टर लिखता है। उसके द्वारा अल्टरनेटिव सिस्टम आफ मेडिसिन के स्नातक व स्नातकोत्तर की फर्जी डिग्री बनाई और उसमें अपने नाम के आगे डाक्टर लिखा जो कि कानूनन वह नहीं लिख सकता था। याचिकाकर्ता के द्वारा शासन को शुभम अवस्थी के इन अपराधों के संबंध में शिकायत दर्ज कर उसके जरिए उसके विरुद्ध जनहित में कार्रवाई करने व शासकीय वेतन की वसूली की मांग की गई थी लेकिन शिकायत दर्ज किए 6 माह से अधिक समय होने पर भी कार्यवाही नहीं की है।
याचिका में यह मांग की गई है कि रजिस्ट्रार, आयुर्वेद, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड षुभम अवस्थी के फर्जी पंजीकरण को रद्द करने की कार्रवाई करें। उसकी आयुर्वेद चिकित्सक की डिग्री की सत्यता की जांच करे। कोविड 19 महामारी के दौरान फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त किए गए आयुष डॉक्टरों को भुगतान किए गए वेतन की वसूली ब्याज सहित करने के लिए कार्रवाई की जाए और उन्हें डॉक्टर शीर्षक का उपयोग करने और निजी प्रैक्टिस करने की अनुमति न दी जावे।