दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जिला दण्डाधिकारी एवं कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जिले में गेहूं की कटाई के बाद खेतों में बचने वाले डंठल (नरवाई) को जलाने पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। इस आदेश का उद्देश्य कृषि भूमि की उर्वरता, पर्यावरण की रक्षा, और जनसंपत्ति को बचाना है। आदेश के अनुसार, किसानों को भूसा तैयार करने के लिए स्ट्रा रीपर का उपयोग करना अनिवार्य होगा।
आदेश में बताया गया है कि फसल कटाई के बाद अक्सर गेहूं के डंठल को जलाया जाता है, जिससे पर्यावरण और कृषि भूमि को हानि पहुँचती है। भूसे का उपयोग पशु आहार और अन्य उद्योगों में किया जा सकता है, जिससे इसका जलाना व्यर्थ है। इसके अलावा, चारा की कमी होने से पशु प्लास्टिक जैसे हानिकारक पदार्थ खा लेते हैं, जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता है।
जिला दण्डाधिकारी ने कहा कि नरवाई जलाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जो पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसके अलावा, गर्मी के मौसम में जल संकट की समस्या को और गंभीर बना देता है। इससे भूमि की उर्वरता भी घटती है क्योंकि इसमें पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। आदेश में साफ किया गया है कि खेतों में बचा हुआ भूसा और कचरा सड़ने से भूमि प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनती है, लेकिन इसे जलाने से यह प्राकृतिक उर्वरता नष्ट हो जाती है।
यह आदेश जबलपुर जिले की पूरी सीमा में लागू किया गया है, और इसका उल्लंघन करने पर भारतीय न्याय संहिता – 2023 के तहत सख्त दंडात्मक कार्यवाही होगी।