दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। हाईकोर्ट ने प्रदेश में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर गंभीर चिंता जाहिर की है। लाउड स्पीकर, डीजे साउंड और ट्रैफिक के शोर के कारण प्रदेश में ध्वनि प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच रहा है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भोपाल में डीजे साउंड की तेज आवाज से एक बच्चे की मौत का मामला भी उठाया।
100 डेसीबल की सीमा पार कर रहे लाउड स्पीकर और डीजे
प्रदेशभर में कई जगहों पर लाउड स्पीकर और डीजे की आवाज़ 100 डेसीबल से भी अधिक हो रही है, जबकि मानक के अनुसार ध्वनि स्तर 65 डेसीबल से अधिक नहीं होना चाहिए। यह साउंड पॉल्यूशन बुजुर्गों और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन रहा है।
अधिवक्ता ने किया रिपोर्ट का उल्लेख
जनहित याचिका में अधिवक्ता आदित्य संघी ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि 65 डेसीबल से अधिक ध्वनि स्तर स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है। इसके बावजूद, प्रदेश में 100 डेसीबल से अधिक साउंड उत्पन्न करने वाले डीजे और लाउड स्पीकर का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है, और इस पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही।
राज्य सरकार और प्रदूषण बोर्ड से जवाब तलब
हाईकोर्ट की युगलपीठ, जिसमें जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सर्राफ शामिल थे, ने इस मामले में राज्य सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी करते हुए 4 सप्ताह में समाधान और संभावित उपायों पर जवाब देने का निर्देश दिया है।
भोपाल में सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण हमीदिया रोड पर
मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल की हमीदिया रोड पर सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण दर्ज किया गया है। अगस्त 2023 में यहां नॉइज पॉल्यूशन का स्तर औसतन 68 डेसीबल था, जो कि 65 डेसीबल के मानक से अधिक है। इसके अलावा, अन्य क्षेत्रों में भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
हाईकोर्ट द्वारा मांगे गए जवाब के बाद इस मामले की अगली सुनवाई होगी, जिसमें ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार और संबंधित एजेंसियों के कदमों की समीक्षा की जाएगी।