दैनिक सांध्य बन्धु ग्वालियर। प्रशासन द्वारा चलाए गए अभियानों का असर धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। खुले में मांस-मछली की बिक्री और सड़कों पर भिखारी बच्चों की बढ़ती संख्या ने आम जनता के लिए परेशानी बढ़ा दी है। हालात ऐसे हैं कि न तो शासन के आदेश का पालन हो रहा है और न ही अधिकारियों की कार्रवाई का कोई असर दिखाई दे रहा है।
शहर की कॉलोनियों, मोहल्लों और बाजारों में खुले में मांस की कटाई जारी है। लोगों का आरोप है कि सिग्नल चौराहों और मंदिरों पर भीख मांगते बच्चों की भीड़ भी बढ़ गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि खुले में मांस-मछली की बिक्री नहीं होनी चाहिए और लाउड स्पीकरों के शोर से लोगों को परेशान नहीं होना चाहिए।
हालांकि, अधिकारियों ने प्रारंभिक कार्रवाई के बाद अब इस पर ध्यान देना बंद कर दिया है। त्योहारों की शुरुआत के साथ बाजारों में भीड़ बढ़ गई है, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
15 दिसंबर से मांस और मछली की खुली बिक्री पर रोक लगा दी गई थी। नगर निगम की टीमों ने कुछ कार्रवाई की और जुर्माना भी वसूला, लेकिन इसके बाद कार्रवाई ठप हो गई। अब स्थिति यह है कि मांस की दुकानों पर न तो हरे पर्दे हैं और न ही काले कांच के गेट।
वहीं, बाल भिखारी भी पहले से ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। कलेक्टर रुचिका चौहान ने पहले बाल भिखारियों को पकड़ने का अभियान चलाया था, लेकिन उसके बाद से इस मामले में कोई निरीक्षण या कार्रवाई नहीं की गई। चौराहों और धार्मिक स्थलों पर बच्चे सुबह से रात तक भीख मांगते देखे जा रहे हैं, जिससे राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी डीएस जादौन ने कहा कि यदि बच्चे फिर से भीख मांग रहे हैं, तो निरीक्षण और कार्रवाई की जाएगी। उपायुक्त अमर सत्य गुप्ता ने आश्वासन दिया कि खुले में मांस-मछली पर सख्ती से जांच की जाएगी और विशेष टीमें बनाई जाएंगी।
लेकिन अब देखना यह होगा कि क्या शासन की ये घोषणाएं सिर्फ कागजी कार्रवाई बनकर रह जाती हैं या वास्तव में लागू होती हैं।