दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय जेल जबलपुर इस दीपावली पर एक अलग ही रोशनी में नहाएगा। इस बार जेल को सजाने और दीप जलाने की जिम्मेदारी उन कैदियों के कंधों पर है, जो कभी अपराध के अंधेरे में गहरे डूबे थे। हत्या, लूट जैसे संगीन अपराधों में लिप्त रहे कैदी अब लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां और दीये बना रहे हैं, जो जेल के साथ-साथ बाजार में भी बेचे जाते हैं।जेल के जेलर मदन कमलेश बताते हैं कि कैदियों का मनोविज्ञान बदलने का यह प्रयास वर्षों से जारी है। कैदी, जिन्होंने कभी अपराध किए थे, आज उसी हाथ से मिट्टी को आकार देकर खूबसूरत दीपक और मूर्तियां बना रहे हैं। अब उनका उद्देश्य अपने कृत्यों का प्रायश्चित करना और समाज के लिए कुछ सकारात्मक करना है।दीपावली पर कैदियों द्वारा जेल के दीवारों, बैरक, और गार्डन की पुताई की जाती है। इसके साथ ही ये कैदी रंग-बिरंगे दीपक और मूर्तियों को भी तैयार करते हैं। इन दीपकों को न केवल जेल में उपयोग किया जाएगा, बल्कि इन्हें बाजार में भी बेचने के लिए भेजा जाता है, जिससे कैदियों को थोड़ी आय भी होती है।जेल प्रशासन के सहयोग से कैदियों को दीपक और मूर्तियां बनाने के लिए कच्चा माल मुहैया कराया जाता है। दीपावली के दिन विशेष पूजा और मिठाई का आयोजन होता है। इसके अगले दिन कैदियों के परिजनों से मिलने के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है ताकि वे भी इस उत्सव की खुशी में शामिल हो सकें।
जेलर कमलेश के अनुसार, यह पहल कैदियों को एक नई दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करती है। यह न केवल उनके समय का सदुपयोग है बल्कि उनके मन को शांति और सकारात्मकता से भरता है। इस प्रकार, केन्द्रीय जेल जबलपुर इस बार दीपावली पर अपराध से मुक्ति और नई दिशा का संदेश भी देगा।
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