दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार अब जिला पंचायत और जनपद पंचायत के अध्यक्ष पद के चुनाव सीधे जनता द्वारा कराने की योजना बना रही है। इस प्रस्ताव के अंतर्गत नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव भी प्रत्यक्ष रूप से किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर सीएम सचिवालय द्वारा इस बदलाव की तैयारी की जा रही है।
फिलहाल पंचायत चुनाव गैर-दलीय आधार पर होते हैं, जिसमें राजनीतिक दल सीधे टिकट नहीं देते, बल्कि समर्थन प्रदान करते हैं। इस व्यवस्था में राजनीतिक जोड़-तोड़ और खरीद-फरोख्त के मामले बढ़ जाते हैं। प्रस्तावित बदलाव के अनुसार, यदि जिला-जनपद पंचायत और नगर परिषद अध्यक्ष पद के चुनाव सीधे जनता के माध्यम से होंगे, तो इन्हें पार्टी सिंबल पर भी कराया जा सकता है।
बदलाव की जरूरत क्यों?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सीधे चुने गए जनप्रतिनिधि जनता के प्रति अधिक जवाबदेह होते हैं। तीन उदाहरणों से इस बदलाव की आवश्यकता स्पष्ट होती है:
- भोपाल जिला पंचायत: 2022 के चुनाव में कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी रश्मि भार्गव के जीतने की संभावना थी, लेकिन अंतिम क्षणों में क्रॉस-वोटिंग के कारण बीजेपी समर्थित उम्मीदवार रामकुंवर गुर्जर जीत गए।
- दमोह जिला पंचायत: यहाँ क्रॉस-वोटिंग के कारण कांग्रेस समर्थित रंजीता पटेल ने जीत हासिल की, जो बाद में बीजेपी में शामिल हो गईं।
- खंडवा जिला पंचायत: यहाँ भी क्रॉस-वोटिंग के कारण चुनाव में नाटकीय बदलाव देखने को मिला और लॉटरी के माध्यम से बीजेपी समर्थित पिंकी वानखेड़े अध्यक्ष चुनी गईं।
इस बदलाव को लागू करने के लिए पंचायत राज अधिनियम और नगर पालिका अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता होगी। इसके लिए प्रस्ताव विधानसभा सत्र में लाया जाएगा और कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह संशोधन संभव होगा।
राज्य निर्वाचन आयोग के पूर्व सचिव जीपी श्रीवास्तव ने इस कदम को सकारात्मक बताया है। उन्होंने कहा कि इससे सौदेबाजी पर रोक लगेगी और जो उम्मीदवार जनता से सीधे चुनकर आएंगे, वे जनता के प्रति अधिक जिम्मेदार होंगे।
प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से जिला पंचायत अध्यक्ष सांसद के समकक्ष जनप्रतिनिधि बन सकते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। इस बदलाव से चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही भी बढ़ेगी।