दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। शहर में बीते आठ दिनों में 18 बच्चों के लापता होने की घटनाओं ने सबको चिंता में डाल दिया है। हर दिन दो से तीन बच्चे और किशोर गायब हो रहे हैं। इन घटनाओं के पीछे किसी गिरोह का हाथ है या बच्चे खुद कहीं चले गए, यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद लापता बच्चों की तलाश पूरी नहीं हो सकी है।
23 जनवरी से 30 जनवरी के बीच जबलपुर जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्रों से 18 बालक-बालिकाएं और किशोर लापता हुए हैं। पुलिस ने कई मामलों में प्रलोभन देकर अपहरण की आशंका जताई है और संबंधित धाराओं में केस दर्ज किए हैं।
लापता बच्चों के परिजनों का आरोप है कि पुलिस सिर्फ टॉवर लोकेशन तक सीमित खोज कर रही है। जब भी परिजन थाने जाते हैं, तो पुलिस का एक ही जवाब मिलता है—“तलाश जारी है।” लेकिन कोई ठोस कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही।
यदि कोई 18 वर्ष से अधिक उम्र का युवक या युवती लापता हो जाता है, तो पुलिस सिर्फ 'गुम इंसान' का मामला दर्ज कर छोड़ देती है। तलाश की प्रक्रिया बेहद सुस्त है, जिससे परिजन बेहद परेशान हैं।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) सूर्यकांत शर्मा का कहना है कि नाबालिगों के मामलों में अपहरण की धाराओं में अलग-अलग थानों में केस दर्ज किए गए हैं। उनकी तलाश के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है और संवेदनशीलता से कार्रवाई की जा रही है।
लगातार बच्चों के लापता होने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या शहर में कोई मानव तस्करी गिरोह सक्रिय है? क्या बच्चों को बहला-फुसलाकर कहीं ले जाया जा रहा है? इन सभी सवालों के जवाब के लिए पुलिस को तेजी से जांच कर सच्चाई सामने लानी होगी।
शहर के नागरिकों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखें और किसी भी तरह की जानकारी पुलिस को दें। क्योंकि हर बच्चे की सुरक्षा, समाज की प्राथमिक जिम्मेदारी है!