दैनिक सांध्य बन्धु नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी। हालांकि, महज आधे घंटे बाद सरकार की ओर से सफाई दी गई कि इसका असर आम जनता पर नहीं पड़ेगा और पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाए जाएंगे। सरकार का कहना है कि यह अतिरिक्त बोझ पेट्रोलियम कंपनियां उठाएंगी और इसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की घटी कीमतों से एडजस्ट किया जाएगा।
फिलहाल सरकार पेट्रोल पर 19.90 रुपए और डीजल पर 15.80 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूलती थी, जो अब बढ़कर क्रमश: 21.90 और 17.80 रुपए हो गई है।
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि अगर कच्चे तेल के दाम में गिरावट जारी रही, तो आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल के खुदरा दामों में भी कमी देखी जा सकती है।
सरकार ने दो अहम बातें स्पष्ट कीं:
-
एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपए की बढ़ोतरी की गई है।
-
आम उपभोक्ताओं को इससे किसी प्रकार की कीमत वृद्धि का सामना नहीं करना पड़ेगा।
पेट्रोल-डीजल की कीमत किन बातों पर निर्भर करती है?
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें मुख्यतः चार कारकों पर आधारित होती हैं:
-
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत
-
रुपये और डॉलर के बीच विनिमय दर
-
केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वसूले गए टैक्स
-
घरेलू बाजार में ईंधन की मांग
कीमत तय करने की प्रणाली
जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमतें तय करती थी, लेकिन इसके बाद यह जिम्मेदारी ऑयल कंपनियों को सौंप दी गई। अक्टूबर 2014 में डीजल की कीमत तय करने का अधिकार भी कंपनियों को दे दिया गया। वर्तमान में ये कंपनियां रोजाना की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार, टैक्स और ट्रांसपोर्टेशन लागत के आधार पर तय करती हैं।
क्रूड ऑयल 4 साल के निचले स्तर पर
एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी ऐसे समय में की गई है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 4 साल के निचले स्तर पर पहुंच चुका है। ब्रेंट क्रूड पिछले सप्ताह 12% टूटा और सोमवार को भी 4% गिरावट के साथ 64 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर क्रूड की कीमतों में गिरावट का यह ट्रेंड जारी रहा, तो पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतों में और गिरावट देखने को मिल सकती है, जिससे आम लोगों को राहत मिलेगी।