दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत के साथ ही जबलपुर जिले में शराब ठेकेदारों के बीच वर्चस्व की लड़ाई खुलकर सामने आ गई है। जिला आबकारी कार्यालय इस स्थिति को नियंत्रित करने में बुरी तरह असफल साबित हो रहा है। हालात यह हैं कि उप मुख्यमंत्री एवं आबकारी मंत्री के प्रभार वाले जिले में ही कानून व्यवस्था को ठेकेदारों के गुर्गे सरेआम चुनौती दे रहे हैं।
बीते दिनों सगड़ा और बरेला क्षेत्रों में हुए झगड़े, अवैध शराब की बिक्री और ओवर रेटिंग जैसी घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शराब के व्यवसाय में अब व्यापार से ज्यादा वर्चस्व की जंग हावी है। जानकारों का मानना है कि बड़ी और पुरानी ठेकेदारी कंपनियां नई और छोटी यूनिटों को बाजार से हटाने के लिए दबाव की नीति अपना रही हैं। नतीजतन, क्षेत्र विशेष में अवैध शराब की आपूर्ति, अधिकृत वेयरहाउस से तय इलाके से बाहर बिक्री और शराब की एमआरपी से ज्यादा दर पर हो रही बिक्री जैसे मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब प्रशासनिक रिपोर्टों में भी विरोधाभास सामने आता है। कलेक्टर दीपक सक्सेना द्वारा की गई जांच और आबकारी विभाग की अलग-अलग रिपोर्टों में उल्लंघन करने वाली दुकानों की संख्या में अंतर मिला है। इससे यह संकेत मिलता है कि न केवल ठेकेदारों के बीच, बल्कि विभागीय स्तर पर भी समन्वय की भारी कमी है।
वर्तमान हालात में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की सीमा में बैठे ठेकेदार एक-दूसरे के इलाके में वर्चस्व कायम करने के लिए हर प्रकार के हथकंडे आजमा रहे हैं। ओवर रेटिंग के मामले, एमआरपी से ऊपर शराब बेचना, दूसरे क्षेत्र में अवैध रूप से शराब भेजना, यहां तक कि गली-गली तस्करों द्वारा होम डिलीवरी तक की जा रही है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि शराब ठेकेदारों की आपसी प्रतिद्वंदिता ने शहर का माहौल बिगाड़ दिया है और यदि प्रशासन ने सख्ती नहीं दिखाई तो यह जंग आम नागरिकों के लिए परेशानी और असुरक्षा का कारण बन सकती है।