दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। शहर में पनीर के नाम पर एनॉलॉग पनीर बेचे जाने की बढ़ती घटनाओं को लेकर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि एनॉलॉग पनीर को असली पनीर बताकर बेचना गैरकानूनी है और ऐसा करने पर दो लाख रुपये तक का जुर्माना और कारावास तक की सजा हो सकती है।
खासकर होटल और रेस्टारेंट में सस्ते विकल्प के रूप में एनॉलॉग पनीर का चलन तेजी से बढ़ा है, जिसे देखते हुए जिला प्रशासन ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को जांच अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।
क्या है असली पनीर और एनॉलॉग पनीर में अंतर?
प्रशासन ने नागरिकों को जागरूक करते हुए बताया कि असली पनीर दूध से बनता है और यह नरम, स्पंजी होता है, जबकि एनॉलॉग पनीर वनस्पति तेल, स्टार्च, सोया और नट्स जैसे गैर-डेयरी उत्पादों से तैयार किया जाता है। यह दिखने में पनीर जैसा होता है लेकिन यह सख्त, रबड़ जैसा होता है और पोषण मूल्य भी कम होता है।
पहचान के आसान तरीके
1. भौतिक परीक्षण – असली पनीर नरम होता है और दूध की खुशबू देता है।
2. टिंचर टेस्ट – टिंचर आयोडीन डालने पर एनॉलॉग पनीर काला या भूरा हो जाता है।
3. तेल परीक्षण – गर्म करने पर एनॉलॉग पनीर अधिक मात्रा में तेल छोड़ता है।
खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम-2006 की धारा 50 के अनुसार अगर उपभोक्ता को असली पनीर के नाम पर कुछ और बेचा गया तो विक्रेता को दंडित किया जा सकता है। एफएसएसएआई के नियमों के अनुसार होटल व रेस्टारेंट को यह भी बताना अनिवार्य है कि वे कौन सा पनीर ग्राहकों को परोस रहे हैं।
प्रशासन ने नागरिकों से आग्रह किया है कि वे खरीदारी के समय सतर्क रहें और मिल्क फेट आधारित असली पनीर ही लें। यदि उन्हें कोई धोखाधड़ी नजर आती है, तो तुरंत शिकायत करें।