दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा है कि पुलिस द्वारा जब्त की गई चोरी की संपत्ति पर आयकर विभाग सीधे दावा नहीं कर सकता। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने स्पष्ट किया कि आयकर विभाग को यदि कोई कार्यवाही करनी है, तो वह अदालत के अंतिम निर्णय के बाद ही संभव होगी।
यह टिप्पणी सतना जिले के किसान श्रवण कुमार पाठक की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान दी गई। हाईकोर्ट ने सतना सेशन कोर्ट के उस फैसले को भी निरस्त कर दिया, जिसमें आवेदक श्रवण को उसकी जब्त संपत्ति लौटाने से इनकार कर दिया गया था।
24 मार्च 2021 को श्रवण कुमार पाठक ने थाना कोतवाली सतना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसके घर से 3 करोड़ रुपये नकद और 4 किलो सोना चोरी हो गया है। पुलिस ने तफ्तीश के दौरान आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए उक्त नकदी और सोना बरामद किया।
श्रवण कुमार ने जब अदालत में संपत्ति वापसी की मांग की, तब आयकर विभाग ने दावा कर दिया कि यह संपत्ति उसे दी जाए क्योंकि इतनी बड़ी नकद राशि और सोना घर में रखना संदिग्ध है तथा सरकार को इससे संभावित राजस्व हानि हुई है।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक मामला न्यायालय में विचाराधीन है और संपत्ति जब्ती का आदेश न्यायिक प्रक्रिया से नहीं हो जाता, तब तक आयकर विभाग का कोई भी दावा मान्य नहीं है।
कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की उस कार्यप्रणाली पर भी आपत्ति जताई, जिसमें बिना ठोस कारण के संपत्ति आवेदक को लौटाने से इनकार कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने इसे न्यायसंगत न मानते हुए आदेश को निरस्त कर दिया और संपत्ति की वापसी का मार्ग प्रशस्त किया।