बैंकिंग सेवाएं ठप, आम जनता परेशान
हड़ताल के चलते नकद जमा, निकासी, चेक क्लीयरिंग, लोन प्रक्रिया और ग्राहक सेवा जैसी जरूरी सुविधाएं बाधित रहीं। आम उपभोक्ता को दिनभर बैंकों के चक्कर लगाने पड़े, लेकिन शाखाएं बंद होने से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा।आंदोलन को देशभर में यूनियनों का समर्थन
यह हड़ताल ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन और बैंक एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त आह्वान पर की गई है। यूनियनों को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और श्रमिक संगठनों का भी समर्थन प्राप्त है।विरोध किस बात का?
बैंक यूनियनों ने हड़ताल के जरिए केंद्र सरकार की जनविरोधी, श्रमविरोधी और निजीकरण को बढ़ावा देने वाली नीतियों का कड़ा विरोध जताया है। यूनियनों का कहना है कि सरकार सार्वजनिक बैंकों और बीमा कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में है, जिससे देश का वित्तीय ढांचा और लाखों कर्मचारियों का भविष्य खतरे में है।यूनियनों की मुख्य मांगें:
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सार्वजनिक बैंकों और बीमा कंपनियों का निजीकरण रोका जाए
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बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई पर रोक लगाई जाए
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आउटसोर्सिंग और संविदा भर्ती बंद की जाए
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NPS खत्म कर पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल की जाए
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बैंक कर्मचारियों की लंबित मांगों पर सकारात्मक निर्णय लिया जाए
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बड़े कॉर्पोरेट डिफॉल्टर पर सख्त कार्रवाई हो
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बैंक सेवाओं पर शुल्क घटाए जाएं और बीमा पर जीएसटी समाप्त किया जाए
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श्रम कानूनों के संशोधन को वापस लिया जाए, ट्रेड यूनियन अधिकारों की रक्षा हो