10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, विपक्ष ने वोटर वेरिफिकेशन को बताया लोकतंत्र पर हमला
दैनिक सांध्य बन्धु (एजेन्सी) पटना।बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर प्रदेश की सियासत गरमा गई है। चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision – SIR) के खिलाफ महागठबंधन ने बुधवार, 9 जुलाई को बिहार बंद का ऐलान करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदेश भर में जनजीवन आंशिक रूप से प्रभावित रहा।
राहुल-तेजस्वी की अगुवाई में मार्च
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव और जन अधिकार पार्टी प्रमुख पप्पू यादव समेत विपक्ष के प्रमुख नेताओं ने इनकम टैक्स चौराहे से चुनाव आयोग कार्यालय तक पैदल मार्च किया। सभी नेताओं ने आयोग पर निष्पक्षता से समझौते का आरोप लगाते हुए मतदाता सूची में छेड़छाड़ की आशंका जताई।
ट्रेनें रोकीं, हाईवे पर चक्का जाम
महागठबंधन के कार्यकर्ताओं ने पटना, आरा, भोजपुर, दरभंगा और समस्तीपुर समेत कई शहरों में सड़कों और रेलवे ट्रैकों पर प्रदर्शन किया। भोजपुर के बिहिया स्टेशन पर पूर्व विधायक भाई दिनेश के नेतृत्व में श्रमजीवी एक्सप्रेस और विभूति एक्सप्रेस को कुछ देर के लिए रोका गया। वहीं, आरा और मनेर में टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन किया गया, जिससे NH-30 पर यातायात प्रभावित हुआ।
लालू यादव का तीखा हमला: "दो गुजराती बिहार से लोकतंत्र छीनना चाहते हैं"
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर तीखा हमला करते हुए लिखा—
“दो गुजराती मिलकर बिहार के 8 करोड़ मतदाताओं से वोटिंग अधिकार छीनने की कोशिश कर रहे हैं। इन्हें बिहार, संविधान और लोकतंत्र से नफरत है।”
उन्होंने लोगों से अपील की कि वे लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूक और एकजुट रहें।
तेजस्वी बोले– 'यह वोटबंदी है'
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया को "वोटबंदी" बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि वे 6 जुलाई को आयोग से मिलने पहुंचे थे लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
सुप्रीम कोर्ट में 10 जुलाई को सुनवाई
इस बीच, मतदाता सूची संशोधन की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए याचिका स्वीकार कर ली है। 'एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' (ADR) नामक संस्था द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि बिहार में मतदाता सूची में बदलाव संविधान और नागरिक अधिकारों के विरुद्ध है। इस याचिका पर 10 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होगी।