Sandhya bandhu update: शहडोल के स्कूलों में पुताई घोटाले पर सियासी घमासान, जीतू पटवारी बोले - यह तो 90% कमीशन वाली सरकार है





दैनिक सांध्य बन्धु (एजेंसी )
 भोपाल/शहडोल। मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में स्कूलों के अनुरक्षण कार्य में हुए लाखों के कथित घोटाले ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे “90% कमीशनखोरी” करार देते हुए प्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार को संस्थागत रूप देने का आरोप लगाया है।

पटवारी का तंज अब तो खुलकर कह रहे हैं कि हम करप्ट हैं

शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए पीसीसी चीफ ने कहा, “हम जनता से कहते थे कि यह 50% कमीशन वाली सरकार है, लेकिन अब तो मामला 90% तक पहुंच गया है। सरकार खुद यह महसूस करा रही है कि हम सुधरने वाले नहीं हैं, क्योंकि आपको (जनता को) हम जैसे ही चाहिए। अब भाजपा का एक भी विभाग ऐसा नहीं बचा जो यह कह सके कि हम चोरी नहीं करते।”

उन्होंने यह भी कहा कि, “यह सरकार न सिर्फ चोरी करती है, बल्कि इसका ढिंढोरा भी पीटती है, क्योंकि जनता एकतरफा वोट देती है।”
ये है पूरा मामला

मामला ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र के सकंदी और निपानिया गांव के स्कूलों से जुड़ा है. जहां सरकारी स्कूलों में अनुरक्षण (मेंटेनेंस) काम के नाम पर लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा सामने आया है. जनपद पंचायत ब्यौहारी के शासकीय हाई स्कूल सकंदी और शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निपनिया में पुताई, दरवाजा-खिड़की फिटिंग जैसे मामूली काम के लिए सैकड़ों लेबर और मिस्त्रियों की फर्जी एंट्री दर्शाकर लाखों रुपये का भुगतान कर लिया गया.
सकंदी के हाई स्कूल के लिए 1,06,984 रुपए का भुगतान

सकंदी गांव के हाई स्कूल में सिर्फ 4 लीटर ऑयल पेंट की पुताई के लिए 168 लेबर और 65 राजमिस्त्री दिखाए गए. हैरानी की बात ये है कि इस काम के लिए कुल 1,06,984 का भुगतान कर लिया गया है. इस भुगतान की मंजूरी प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी फूल सिंह मरपाची ने दी और कोषालय से पैसे निकाल लिए.
निपनिया स्कूल के लिए 2,31,685 रुपए का भुगतान

इसी तरह निपनिया स्कूल में 275 लेबर और 150 मिस्त्री दिखाकर 20 लीटर पेंटिंग, 10 खिड़की और 4 दरवाजों की फिटिंग का काम दिखाया गया. इस के लिए 2,31,685 की राशि का भुगतान किया गया. मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बिल 5 मई 2025 को सुधाकर कंस्ट्रक्शन की ओर से तैयार किया गया. जबकि स्कूल प्राचार्य ने उसे 4 अप्रैल 2025 को ही सत्यापित कर दिया. यानी बिल बनने से एक महीने पहले ही उसकी मंजूरी दे दी गई. जो खुद में ही फर्जीवाड़े का पुख्ता संकेत देता है.

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