175 देशों की जीडीपी से बड़ी हुई SBI की बैलेंस शीट, 52 करोड़ ग्राहकों के साथ बना 'वर्चुअल राष्ट्र'

 



नई दिल्ली।देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अपने 70 वर्षों की यात्रा में जो मुकाम हासिल किया है, वह न केवल भारत, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में भी अभूतपूर्व है। बैंक की बैलेंस शीट का आकार अब 66 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है, जो दुनिया के 175 देशों की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) से अधिक है। अगर SBI कोई देश होता, तो इसके 52 करोड़ ग्राहक अमेरिका की जनसंख्या से अधिक होते और यह दुनिया का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला "वर्चुअल राष्ट्र" होता।
अर्थव्यवस्था में गहराई से जुड़ाव

SBI ने खुद को महज बैंक नहीं, बल्कि भारत के आर्थिक इंजन के रूप में स्थापित किया है। बैंक का कहना है कि उसका योगदान वैश्विक जीडीपी में 1.1% और भारत की जीडीपी में 16% तक है। वित्त वर्ष 2025 में सार्वजनिक बैंकों द्वारा अर्जित कुल लाभ में SBI की हिस्सेदारी 40% रही, जबकि कॉर्पोरेट इनकम टैक्स में (FY 2026) इसका योगदान 2.53% तक पहुंच गया।
जन-कल्याण योजनाओं में अहम भूमिका

बैंक की भूमिका सिर्फ वित्तीय लेन-देन तक सीमित नहीं रही, बल्कि सरकारी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के क्रियान्वयन में भी इसकी भागीदारी 25% से अधिक है।


प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) के तहत 15 करोड़ खाते,


प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) में 14.6 करोड़ लाभार्थी,


प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) में 6.7 करोड़ पंजीकरण,



और अटल पेंशन योजना (APY) के अंतर्गत 1.73 करोड़ नामांकन – यह सभी आंकड़े SBI की सामाजिक प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
डिजिटल इंडिया की रीढ़

डिजिटल परिवर्तन के युग में SBI ने YONO एप के माध्यम से खुद को आम आदमी की जेब में ला खड़ा किया है। अब तक 8.8 करोड़ ग्राहक YONO से जुड़ चुके हैं, और यह संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। 23,000 से अधिक शाखाएं, 64,000 एटीएम और 78,000 ग्राहक सेवा केंद्रों (CSPs) के साथ SBI देश के हर कोने तक अपनी पहुंच बना चुका है।
वित्त मंत्री ने की सराहना

SBI के 70 साल पूरे होने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंक की सराहना करते हुए कहा, "SBI सचमुच 'हर भारतीय का बैंक' है। इसका डिजिटलीकरण और ग्रामीण भारत में पहुंच इसको सबसे भरोसेमंद वित्तीय संस्थान बनाता है।"
उन्होंने कहा कि बैंक ने 1.5 करोड़ किसानों, 1.3 करोड़ महिला स्वयं सहायता समूहों, 32 लाख स्ट्रीट वेंडर्स, 23 लाख MSMEs और लाखों कारीगरों को विभिन्न योजनाओं के तहत सशक्त किया है।

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