पीथमपुर में हुआ यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का वैज्ञानिक निपटारा, 31 जुलाई को अगली सुनवाई



जबलपुर।करीब चार दशक पहले देश को झकझोर देने वाली भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ा एक बड़ा और संवेदनशील मुद्दा अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) की परित्यक्त फैक्ट्री में वर्षों से जमा 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे का वैज्ञानिक तरीके से सफलतापूर्वक विनष्टीकरण कर दिया गया है। यह कार्य धार जिले के पीथमपुर स्थित विशेषीकृत अपशिष्ट निपटान संयंत्र में 55 दिनों में पूरा हुआ। राज्य सरकार ने इसकी विस्तृत रिपोर्ट मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष पेश की है।

हाईकोर्ट में सौंपी गई रिपोर्ट में क्या है खास
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस दिनेश कुमार पालीवाल के समक्ष पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया कि यह विनष्टीकरण प्रक्रिया केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB) के तकनीकी विशेषज्ञों की निगरानी में की गई। साथ ही संयंत्र में तमाम आधुनिक व्यवस्थाएं जैसे मर्करी एनालाइज़र की ऑनलाइन मॉनिटरिंग, वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन, डीज़ल और पानी प्रवाह पर नियंत्रण रखने वाले मीटर, व चूना मिश्रण की ब्लेंडिंग सुविधाएं स्थापित की गईं।

अतिरिक्त कचरे का भी होगा निपटारा

सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक UCIL परिसर से 19.157 मीट्रिक टन अतिरिक्त खतरनाक अपशिष्ट भी निकाला गया है, जिसका विनष्टीकरण आगामी 3 जुलाई को किया जाएगा। यह प्रक्रिया फिलहाल 270 किलोग्राम प्रति घंटे की दर से चल रही है।

विनष्टीकरण के बाद 850 मीट्रिक टन राख और अवशेष
विनष्टीकरण प्रक्रिया पूरी होने के बाद संयंत्र में 850 मीट्रिक टन राख और ठोस अवशेष जमा हुए हैं, जिन्हें MPPCB से कंसेंट टू ऑपरेट (CTO) प्राप्त होने के बाद विशेष रूप से तैयार लैंडफिल सेल में निष्क्रिय किया जाएगा। हाईकोर्ट ने लैंडफिल विशेषज्ञों की विस्तृत रिपोर्ट भी तलब की है, ताकि भविष्य में किसी तरह का पर्यावरणीय खतरा न हो।

2004 से चल रहा है मामला, याचिकाकर्ता की मौत के बाद भी कोर्ट ने नहीं छोड़ा साथ

यह मामला 2004 में भोपाल निवासी सामाजिक कार्यकर्ता आलोक सिंह द्वारा दायर की गई जनहित याचिका से शुरू हुआ था। याचिका में मांग की गई थी कि यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री में पड़े करीब 350 मीट्रिक टन खतरनाक कचरे को वैज्ञानिक ढंग से नष्ट किया जाए। आलोक सिंह के निधन के बाद भी हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई जारी रखी। याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट नमन नागरथ और खालिद फखरुद्दीन ने प्रभावी पैरवी की।

सरकार ने बताया पारदर्शिता से किया गया कार्य
हाईकोर्ट को अवगत कराया गया कि राज्य सरकार की उच्चस्तरीय समिति ने इस कार्य को पूरी पारदर्शिता, जवाबदेही और वैज्ञानिक प्रक्रिया के साथ अंजाम दिया है। विनष्टीकरण प्रक्रिया का अंतिम चरण 30 जून की रात 1:02 बजे पूरा हुआ।


अब 31 जुलाई को अगली सुनवाई
मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को निर्धारित की गई है, जिसमें लैंडफिल संबंधी विस्तृत रिपोर्ट सहित आगे की पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों की समीक्षा की जाएगी।

Post a Comment

Previous Post Next Post