दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। शहर में नकली नोटों का जाल फैलाने वाले विकास यादव को पुलिस ने गिरफ्तार कर कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। आरोपी बीते एक साल से छोटे दुकानदारों को निशाना बनाकर फर्जी नोट चलाता आ रहा था। वह प्रतिदिन 3 से 4 नकली नोट अलग-अलग दुकानों पर खपाता था, ताकि किसी को शक न हो।
आउटर एरिया को बनाता था निशाना
पुलिस पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसने रायसेन रोड, 11 मील, इंटखेड़ी-गुनगा, परवलिया, एयरपोर्ट रोड, गांधी नगर, पिपलानी, अवधपुरी सहित कई इलाकों में नकली नोट चलाए। आसपास के जिलों—विदिशा, सीहोर और रायसेन में भी उसने नोट खपाए हैं।
असली नोट जैसी क्वालिटी, वाटरमार्क तक तैयार
आरोपी के घर से पुलिस को 500 रुपए के 428 नकली नोट मिले हैं। साथ ही ऐसा रॉ मटेरियल, जिससे वह 30 लाख रुपए तक के नोट प्रिंट कर सकता था। वह खास तरह का कागज और प्रिंटिंग तकनीक इस्तेमाल करता था, जिसमें वाटरमार्क भी दिखता था।
20-50 रुपए का सामान खरीदकर देता था 500 का नोट
एडिशनल DCP गौतम सोलंकी के मुताबिक, आरोपी दुकानों से छोटी खरीदारी कर नकली नोट थमाता था। जरूरत का सामान जुटाने के बाद उसने होटल में महंगे खाने और मॉल में खरीदारी तक इसी रकम से की। अब तक वह लगभग 6 लाख रुपए के नकली नोट बाजार में चला चुका है।
ऑनलाइन मंगवाता था मटेरियल
विकास मूलतः उत्तर प्रदेश का रहने वाला है और करोंद क्षेत्र में रहता है। उसने पुलिस को बताया कि पूरा मटेरियल वह ऑनलाइन मंगवाता था। नोट छापने से लेकर उन्हें बाजार में उतारने तक वह अकेले ही काम करता था ताकि पकड़ा न जाए।
कंप्यूटर-प्रिंटर से लेकर स्कैनर तक जब्त
पुलिस ने उसके घर से कंप्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर और नोट बनाने में उपयोग होने वाले अन्य अत्याधुनिक उपकरण जब्त किए हैं। कुल 2,25,500 रुपए के नकली नोट बरामद किए गए हैं।
कानून क्या कहता है?
नकली नोट छापने पर 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा।
नकली नोट बनाने की सामग्री रखने पर 7 साल तक की जेल का प्रावधान।
पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि नकली नोटों का नेटवर्क कितना बड़ा है और आरोपी के पीछे और कौन लोग जुड़े हो सकते हैं।