दैनिक सांध्य बन्धु ग्वालियर। रविवार सुबह ग्वालियर में हुए भीषण सड़क हादसे ने शहर को हिला दिया। करीब 150 Km/h की रफ्तार से दौड़ रही फॉर्च्यूनर आगे चल रही रेत से भरी ट्रॉली में जा घुसी। टक्कर इतनी भीषण थी कि स्टीयरिंग ड्राइवर के पेट में घुसकर टूट गया और गाड़ी का पूरा आगे का हिस्सा चकनाचूर हो गया।
फॉर्च्यूनर में सवार सभी 5 युवकों की मौके पर ही मौत हो गई।
इकलौता बेटा खो बैठा कारोबारी परिवार
मृतकों में 24 वर्षीय प्रिंस राजावत भी शामिल था—उमेश राजावत का इकलौता बेटा। पिता का तेल मिल और रियल एस्टेट का बड़ा कारोबार है। प्रिंस की शादी की बातें चल रही थीं, लेकिन इस हादसे ने पिता का सपना तोड़ दिया।
150 Km की स्पीड दर्ज, एयरबैग फटे, स्पीडोमीटर टूट गया
पुलिस ने बताया कि गाड़ी की अंतिम स्पीड 151 Km/h दर्ज हुई। हादसा इतना जोरदार था कि स्टीयरिंग टूट गया, स्पीडोमीटर उड़ गया, एयरबैग फट गए और इंजन तक चकनाचूर हो गया। एक्सपर्ट्स के अनुसार इतनी स्पीड में गाड़ी को कंट्रोल करना लगभग नामुमकिन होता है।
बिना बताए निकला था प्रिंस, रातभर दोस्त घूमते रहे
शनिवार रात प्रिंस अपने दोस्तों के साथ घर से कार लेकर निकला था। रातभर जश्न मनाया, ड्रिंक की सुबह भूख लगी तो जौरासी घाटी स्थित हनुमान मंदिर के सामने समोसा खाने पहुंच गए। वापस लौटते समय मालवा कॉलेज के पास हादसा हुआ।
कौशल चला रहा था फॉर्च्यूनर, स्पीड पसंद थी
स्पॉट पर ड्राइवर सीट पर फंसा युवक कौशल भदौरिया मिला। दोस्तों ने पुष्टि की कि वही गाड़ी चला रहा था। कौशल को तेज गति से गाड़ी चलाने का शौक था—100 Km/h से कम पर कभी नहीं चलाता था। कौशल शादीशुदा था, डेढ़ साल की बेटी और कैंसर पीड़ित पिता को पीछे छोड़ गया।
गुरुग्राम से आए शिवम की भी मौत, पिता का सपना अधूरा
हादसे में शिवम राजपुरोहित की भी मौत हुई। वह गुरुग्राम में इंजीनियरिंग कर रहा था, और ग्वालियर अपने दोस्त का बर्थडे सेलिब्रेट करने आया था। पिता का सपना था—बेटा इंजीनियर बने… लेकिन हादसे ने सब खत्म कर दिया।
दो और दोस्तों की मौत: अभिमन्यु और आदित्य इकलौते बेटे थे
अभिमन्यु (21): मां को बिना बताए घर से निकला था, पिता पुडुचेरी में अधिकारी। आदित्य (22): बीसीए छात्र, अपने परिवार का इकलौता बेटा। तीनों परिवारों का रो-रोकर बुरा हाल रहा।
रात जश्न में निकले, दोपहर परिवार अस्पताल के बाहर बिलखता मिला
दोपहर तक अस्पताल के बाहर दिल दहला देने वाला मंजर था। एक-एक कर पांचों दोस्तों के शव परिवारों को सौंपे गए। परिजन चीखते हुए एक-दूसरे से बस यही पूछ रहे थे— “हमारे बच्चे को क्या हो गया…?”
रेत से भरी ट्रॉलियों पर कार्रवाई, टीम सड़क पर उतरी
हादसे के बाद माइनिंग और प्रशासनिक टीम ने रेत से भरी ट्रॉलियों पर कार्रवाई शुरू की। कई ट्रॉलियां सड़कों से गायब हो गईं।