दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मौत को मात देकर नई जिंदगी पाने वाली जबलपुर की नवजात वामिका अब पूरी तरह स्वस्थ है। 17 दिन की हो चुकी वामिका के दिल में जन्मजात छेद था, जिसके कारण उसे 5 नवंबर को राज्य सरकार की मदद से एयरलिफ्ट कर मुंबई के नारायणा अस्पताल भेजा गया था। 9 दिन तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद अब उसकी हालत सामान्य हो रही है और जल्द ही वह पिता के साथ जबलपुर लौटेगी।
5 घंटे चला ऑपरेशन, एक के बाद एक दो मेजर सर्जरी
3 नवंबर को वामिका ने अपने जुड़वा भाई दिवित के साथ जन्म लिया। भाई स्वस्थ था, लेकिन वामिका को Transposition of the Great Arteries नाम की गंभीर हार्ट कंडीशन थी। जबलपुर के डॉक्टरों ने पिता को मुंबई में इलाज कराने की सलाह दी।
5 नवंबर को कागजी प्रक्रिया पूरी कर उसे एयर एम्बुलेंस से मुंबई भेजा गया।
7 नवंबर को सीनियर कार्डियक सर्जन डॉ. प्रदीप कौशिक और पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुप्रितिम सेन ने लगातार 5 घंटे तक दो बड़े ऑपरेशन किए। महज पांच दिन की बच्ची की इतनी जटिल सर्जरी दुर्लभ मानी जाती है।
डॉक्टर बोले—ऑपरेशन 100% सफल
डॉ. सुप्रितिम सेन ने बताया कि वामिका की सर्जरी बेहद कठिन थी, लेकिन पूरी तरह सफल रही। बच्ची का ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट और कार्डियक फंक्शन पूरी तरह रिकवर कर चुके हैं। वेंटिलेटर हटाने के बाद वह खुद सांस ले रही है। जल्द ही वह सामान्य बच्चों की तरह हो जाएगी।
पिता ने कहा—डॉक्टर भगवान बनकर आए
वामिका के पिता सत्येंद्र दाहिया ने कहा कि बच्ची की जान बचाने में डॉक्टरों, मध्यप्रदेश सरकार, आरबीएसके और जिला स्वास्थ्य विभाग का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा—"डॉक्टरों ने हमारी बच्ची को नई जिंदगी दी है, वे हमारे लिए भगवान हैं।"
आरबीएसके से मिली बड़ी मदद
आरबीएसके जिला प्रबंधक सुभाष शुक्ला ने बताया कि इस योजना के तहत वामिका के इलाज के लिए सरकार ने 1.90 लाख रुपए की मदद की। इलाज का कुल खर्च 5 लाख से ज्यादा था, जिसे नारायणा फाउंडेशन ने वहन करने का आश्वासन दिया है।
सीएमएचओ डॉ. संजय मिश्रा ने बताया कि वामिका मध्यप्रदेश की पहली बच्ची है जिसे राज्य सरकार ने जान बचाने के लिए एयरलिफ्ट कराया।