दैनिक सांध्य बन्धु नई दिल्ली (एजेंसी)। उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और रामपुर की सियासत का सबसे बड़ा नाम रहे आजम खान एक बार फिर जेल में हैं। 17 नवंबर 2025 की दोपहर MP-MLA कोर्ट से निकलते ही पुलिस ने उन्हें और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को हिरासत में लेकर रामपुर जेल में बंद कर दिया। फर्जी पैन कार्ड मामले में दोनों को 7 साल की सजा और 50 हजार रुपए जुर्माना सुनाया गया है।
जेल के मुख्य द्वार पर पहुंचकर मीडिया से घिरे आजम बस इतना ही कह सके— “बेहतर है। कोर्ट ने गुनहगार समझा, तो सजा सुनाई है।”
उनके स्वर में बेबसी और चेहरे पर थकान साफ दिखाई दे रही थी।
आजम पिछले 5 वर्षों में 50 महीने जेल काट चुके हैं। रामपुर के लोग कहते हैं कि अब उनका जेल जाना किसी को हैरान नहीं करता, लेकिन वे यह भी मानते हैं कि 75 साल की उम्र में उन पर “कुछ रहम” होना चाहिए।
फर्जी दस्तावेज़ों से जुड़े इस मामले की FIR 2019 में BJP नेता और अब रामपुर विधायक आकाश सक्सेना ने दर्ज कराई थी। आरोप था कि 2017 में अखिलेश सरकार में मंत्री रहते हुए आजम ने अपने बेटे अब्दुल्ला के लिए दो जन्मतिथियों पर दो पैन कार्ड बनवाए, ताकि वे विधानसभा चुनाव लड़ सकें। कोर्ट ने इसे धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश मानते हुए दोनों को दोषी ठहराया।
रामपुर के लोगों की राय इस फैसले पर बंटी हुई है। कुछ लोगों का कहना है कि आजम गरीबों के नेता रहे, सड़कों से लेकर यूनिवर्सिटी तक उन्होंने कई काम करवाए। वहीं कुछ लोग उन्हें मिली सजा को ‘योग्य’ बताते हैं और आरोप लगाते हैं कि उनके कारण उद्योग धंधे बंद हुए और लोग बेरोजगार हुए।
लंबी राजनीतिक पारी—9 बार विधायक, 2 बार सांसद और UP सरकार में 4 बार मंत्री—के बावजूद आजम का राजनीतिक भविष्य अब सबसे बड़े संकट में है। कोर्ट की सजा के चलते आजम और अब्दुल्ला दोनों 2027 तक चुनाव नहीं लड़ सकते। सपा भी उनके समर्थन में अब पहले की तरह खुलकर खड़ी नहीं दिखती।
परिवार के घर पर सन्नाटा है। पत्नी तंजीन फातिमा और बड़े बेटे अदीब कानूनी प्रक्रिया में लगे हैं, पर फिलहाल मीडिया से बात करने की स्थिति में नहीं हैं। दूसरी ओर आजम के समर्थक कहते हैं कि 2017 के बाद से उन्हें ‘टारगेट’ किया गया है, जबकि राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार आजम की परेशानियां उनकी ही कार्रवाइयों और तमाम कानूनी मामलों का नतीजा हैं।
रामपुर जेल से महज 200 मीटर दूर स्थित अपने घर की मस्जिद से आती नमाज़ की आवाज़ वे अपनी बैरक नंबर-1 में सुन सकते हैं। अब वे वहीं कैदी नंबर 425 के रूप में अपनी सजा काट रहे हैं—और उनके राजनीतिक सफर का भविष्य पहले से ज्यादा धुंधला दिख रहा है।