बिहार हिजाब विवाद अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना, पाकिस्तान से लेकर देशभर में तीखी प्रतिक्रिया

दैनिक सांध्य बन्धु (एजेंसी) पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक महिला मुस्लिम डॉक्टर का हिजाब हटाने का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। बिहार तक सीमित रहने वाला यह विवाद अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे अल्पसंख्यक अधिकारों और बढ़ते इस्लामोफोबिया से जोड़ा है।

इशाक डार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर कहा कि यह घटना अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा और इस्लामोफोबिया के खिलाफ प्रयासों की आवश्यकता को उजागर करती है।

इस मामले पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि धर्म की बात छोड़ भी दी जाए तो किसी महिला के कपड़ों को सार्वजनिक मंच पर छूना या खींचना पूरी तरह गलत है। उन्होंने नीतीश कुमार से महिला डॉक्टर से माफी मांगने की मांग की।

प्रसिद्ध लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि वे पर्दा प्रथा के खिलाफ हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि किसी महिला के साथ इस तरह का व्यवहार जायज हो जाए। जावेद अख्तर ने नीतीश कुमार से बिना शर्त माफी की मांग की है।

वहीं, एनडीए नेताओं ने मुख्यमंत्री का बचाव किया है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि नियुक्ति पत्र लेने के दौरान चेहरा दिखाना गलत नहीं है और नीतीश कुमार ने कोई अनुचित कार्य नहीं किया। केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने भी इसे अनजाने में हुई घटना बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का इरादा गलत नहीं था और इसे धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।

दूसरी ओर, एआईएमआईएम के पूर्व सांसद इम्तियाज जलील ने विवादित बयान देते हुए नीतीश कुमार और यूपी सरकार के मंत्री संजय निषाद को लेकर तीखी टिप्पणी की, जिससे राजनीतिक माहौल और गरमा गया।

इस बीच, पश्चिम बंगाल में मुस्लिम महिलाओं ने सड़कों पर उतरकर विरोध मार्च और मशाल जुलूस निकाले। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की।

मामले को लेकर बेंगलुरु, लखनऊ और रांची में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। रांची के इटकी थाने में सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दी गई शिकायत में कहा गया है कि यह घटना महिला की गरिमा और धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।

घटना से जुड़ी महिला डॉक्टर नुसरत परवीन ने शुरुआत में नौकरी जॉइन न करने का फैसला लिया था, लेकिन परिवार के समझाने के बाद उन्होंने अपना निर्णय बदल लिया है। वह कोलकाता से पटना लौट चुकी हैं और आज नौकरी जॉइन करने की संभावना है।

गौरतलब है कि यह पूरा मामला 15 दिसंबर का है, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र बांट रहे थे। इसी दौरान एक महिला डॉक्टर के हिजाब को लेकर हुई यह घटना सामने आई, जिसने अब राजनीतिक, सामाजिक और अंतरराष्ट्रीय बहस का रूप ले लिया है।

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