दैनिक सांध्य बन्धु (एजेंसी) पांढुर्णा। मध्य प्रदेश के पांढुर्णा जिले के बोरगांव गांव से निकले 23 साल के ऑलराउंडर मंगेश यादव की किस्मत ने बड़ी उड़ान भरी है। आईपीएल 2026 ऑक्शन में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने उन्हें 5.20 करोड़ रुपए में खरीदा। यह बोली उनकी 30 लाख की बेस प्राइस से साढ़े 17 गुना ज्यादा रही।
आज भी मंगेश का परिवार ₹1200 महीने के किराए के 10×10 फीट के छोटे से कमरे में रहता है, जहां छह लोग किसी तरह गुजर-बसर करते हैं। संकरी और गंदी गली में स्थित इस घर में कुर्सी रखने तक की जगह नहीं, लेकिन दीवारों पर टंगे मेडल और अलमारी में सजी ट्रॉफियां मंगेश के संघर्ष और मेहनत की कहानी बयां करती हैं।
पिता बोले—फोन पर रो रहा था बेटा
मंगेश के पिता राम अवध यादव, जो पेशे से ड्राइवर हैं, भावुक होकर बताते हैं कि ऑक्शन की रात बेटे का फोन आया—वह रो रहा था। “उसकी आवाज ही नहीं निकल रही थी। मां से बात कराई, तब जाकर शांत हुआ। हमारा सपना पूरा हुआ, लेकिन असली सपना तब पूरा होगा जब वह भारतीय टीम में खेलेगा।”
मां का संघर्ष—फीस तक भरना मुश्किल
मां रीता यादव कहती हैं कि पैसों की कमी हमेशा रही। “प्राइवेट स्कूल की फीस छह-छह महीने नहीं भर पाते थे। बड़ी मुश्किल से 12वीं तक पढ़ाया। उसके बाद वह क्रिकेट खेलने नोएडा चला गया।”
मेहनत और इंसानियत की मिसाल
कोच उत्सव बैरागी बताते हैं कि मंगेश बाएं हाथ के गेंदबाज ऑलराउंडर हैं। नोएडा जाने से पहले वह रोज 70 किमी दूर छिंदवाड़ा प्रैक्टिस के लिए आते-जाते थे। टूर्नामेंट में मिलने वाले कैश प्राइज वह ग्राउंड कर्मचारियों को दे देते थे, खुद सिर्फ ट्रॉफी रखते थे। सांसद कप में मिली रेसर साइकिल भी उन्होंने कर्मचारियों को दे दी।
गरीबी, संघर्ष और सादगी से निकलकर करोड़ों की बोली तक पहुंची मंगेश यादव की कहानी आज हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है।
Tags
national
