दैनिक सांध्य बन्धु नई दिल्ली। लोकसभा में चुनाव सुधार और SIR मुद्दे पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। अमित शाह के भाषण के दौरान राहुल गांधी ने उन्हें अपनी “वोट चोरी” से जुड़ी तीन प्रेस कॉन्फ्रेंस पर डिबेट की चुनौती दी। इस पर शाह ने कहा कि वे अपने बोलने का क्रम खुद तय करेंगे, किसी के दबाव में नहीं आएंगे। राहुल गांधी ने शाह के जवाब को “डरा और घबराया हुआ” बताया। बहस बढ़ने पर सदन में कई बार हंगामा हुआ और अंत में कांग्रेस सांसदों ने वॉकआउट कर दिया।
अमित शाह ने करीब डेढ़ घंटे के भाषण में चुनाव सुधार, EVM, मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया, कांग्रेस शासनकाल, घुसपैठ और वोट चोरी के आरोपों पर विस्तार से जवाब दिया। राहुल गांधी के सवालों पर उन्होंने कहा कि 2023 तक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का कोई कानून नहीं था और दशकों तक प्रधानमंत्री की सिफारिश पर ही नियुक्तियां होती रहीं। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बाद सरकार ने कानून बनाकर प्रक्रिया को पारदर्शी किया। CCTV फुटेज को 45 दिन बाद हटाने के सवाल पर शाह ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत तय अवधि के बाद चुनौती का प्रावधान नहीं है और जरूरत पड़ने पर न्यायालय से फुटेज मांगी जा सकती है। चुनाव आयोग को इम्युनिटी देने के आरोप पर उन्होंने कहा कि 1951 के कानून से अधिक कोई अतिरिक्त छूट नहीं दी गई है।
अपने भाषण में शाह ने कहा कि विश्वविद्यालयों में किसी खास विचारधारा के वाइस चांसलर की नियुक्ति पर आपत्ति का कोई नियम नहीं है और देशहित, संस्कृति और राष्ट्रभक्ति को प्राथमिकता देना गलत नहीं। उन्होंने विपक्ष पर सर्जिकल स्ट्राइक, राम मंदिर, CAA, ट्रिपल तलाक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े फैसलों का विरोध करने का आरोप लगाया और कहा कि NDA ने विकास कार्यों और जन समर्थन के दम पर चुनाव जीते हैं, न कि वोट चोरी से। सीमा सुरक्षा और घुसपैठ का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि देश पहले ही जनसांख्यिकी के आधार पर बंट चुका है और सरकार नहीं चाहती कि आने वाली पीढ़ी फिर ऐसा दौर देखे।
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