सुप्रीम कोर्ट: 'IMA पर सख्ती, पतंजलि पर जब सवाल उठा रहे थे तब आप क्या कर रहे थे?'

दैनिक सांध्य बन्धु।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में नजारा बदला दिखा। पतंजलि की ओर से दाखिल एक अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) पर भी सवाल उठाए। अदालत ने इस मामले में आईएमए अध्यक्ष को नोटिस जारी कर 13 मई तक जवाब मांगा है।

कुछ समय पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया था। हाईकोर्ट के निर्देश पर उन्हें सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी पड़ी थी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में नजारा बदला दिखा। पतंजलि की ओर से दाखिल एक अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) पर भी सवाल उठाए। अदालत ने इस मामले में आईएमए अध्यक्ष को नोटिस जारी कर 13 मई तक जवाब मांगा है। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि आप पतंजलि पर भ्रामक विज्ञापन के लिए सवाल उठा रहे रहे थे, उनकी दवाओं को हटाने की मांग कर रहे थे, लेकिन आप क्या कर रहे हैं?

क्या है मामला?

सुप्रीम कोर्ट की ओर से पतंजलि पर सख्ती के बाद समूह ने अखबारों में विज्ञापन देकर सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी थी। हालांकि इसके बावजूद आईएमए के अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन अपने एक बयान के कारण विवादों में घिर गए। दरअसल, उन्होंने अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान एलोपैथी डॉक्टर्स पर की गई टिप्पणी का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच पर ही सवाल उठा दिया था। अब इस मामले में पतंजलि ने आईएमए के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की है। इसी याचिका की सुनवाई के दौरान मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने आईएमए के रवैये पर सवाल उठाए।

आईएमए के वकील ने क्या जवाब दिया?

आईएमए की ओर से अदालत में पेश वकील ने बचाव करते हुए कहा कि आइएमए अध्यक्ष का मकसद अदालत के बारे में गलत टिप्पणी करना नहीं था। इस पर बेंच ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह कोई मामूली बात नहीं है। आइएमए अध्यक्ष ने मीडिया में सार्वजनिक तौर पर ऐसे मामले पर बात की जिसकी अदालत में सुनवाई चल रही है। अदालत ने कहा कि आईएमए की ओर से पेश अधिवक्ता का जवाब संतोषप्रद नहीं है। बेंच ने आईएमए अध्यक्ष के बारे में बोलते हुए कहा, "यह देखिए कि क्या उन्होंने अपना ही नुकसान कर लिया। देखते हैं, हो सकता है हम आपको एक मौका दें।" जस्टिस कोहली ने कहा, "एक बात हम साफ कर दें कि अदालत यह उम्मीद नहीं करती कि कोई पीठ पीछे कुछ भी बोले। अदालत को भी आलोचना का सामना करना पड़ा है, हम उसके लिए तैयार हैं, लेकिन...।" इस पर आईएमए की ओर से पेश वकील पीएस पटवालिया ने बेंच से आईएमए अध्यक्ष की ओर से माफी मांगते हुए अगली सुनवाई का मौका देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि आईएमए अध्यक्ष को यह समझ आ गया है कि उन्हें अपनी जुबान बंद रखनी चाहिए थी।

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