दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। रक्तदान को समाज में सबसे बड़ा दान माना जाता है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण होता है देहदान। देहदान से मृत्यु के बाद उन लोगों को अंग मिल जाते हैं जिन्हें इसकी अत्यंत आवश्यकता होती है, और साथ ही यह चिकित्सा शिक्षा में भी अमूल्य योगदान देता है। इस नेक काम को बरेला, जबलपुर निवासी अर्जुन दास ठाकुर के परिवार ने सार्थक किया है।
अर्जुन दास ठाकुर का 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके परिवार ने उनके पार्थिव शरीर को मेडिकल कॉलेज को दान करने का निर्णय लिया। इस निर्णय के पीछे उनकी मंशा थी कि अर्जुन दास ठाकुर का शरीर मेडिकल छात्रों की पढ़ाई में काम आ सके। शरीर दान से मेडिकल स्टूडेंट्स मानव शरीर की संरचना को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे और इससे उन्हें भविष्य में मरीजों की जिंदगी बचाने में सहायता मिलेगी।
यह कदम न केवल अर्जुन दास ठाकुर के परिवार की उदारता और सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रतीक है, बल्कि समाज को भी एक महत्वपूर्ण संदेश देता है।
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