दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। नगर के कई विद्यालयों के समीप लगे चाय पान के टपरों के कारण कहां का वातावरण खराब हो रहा है। देखा जा रहा है कि स्कूल के कुछेक छात्र गुटका, पान आदि का सेचन करने लगे हैं। विदित हो कि पूर्व के वर्षों में स्कूल, कालेजों के आसपास पुलिस और महिला पुलिस के द्वारा लगातार कार्यवाही कर चाय, पान के टपरों पर खड़े अवांछिর तत्वों को खदेड़ा जाता था। इससे वहां इसे तत्वों का जमावड़ा नहीं हो पाता था। वहीं नगर निगम की अतिक्रमण शाखा द्वारा चाय पान के विरुद्ध कार्यवाही कर उन्हें हटाया जाता था लेकिन पिछले लंबे समय से इस प्रकार की कार्यवाही नहीं हो रही है जिससे उनके हौसले बुलंद हैं। नगर निगम की अतिक्रमण शाखा की लापरवाही के कारण स्कूलों की दीवारों से सटे सिगरेट, गुटखा और चाय के ठेले खुलेआम संचालित हो रहे हैं। इन ठेलों पर सुबह से शाम तक भीड़ लगी रहती है, जिससे आसपास की सड़कों पर वाहनों की पार्किंग होती है और जाम की स्थिति बनती रहती है। प्रशासन की अनदेखी के चलते इन ठेलेवालों के हौसले बुलंद हैं, और वे किसी के टोकने पर विवाद करने से भी पीछे नहीं हटते।
कोडरेड पुलिस भी निष्क्रिय, बीते वर्षों में नगर में कोहरेड पुलिस का स्पेशल दस्ता
बनाया गया था। जो महिला संबंधी अपराधो की सूचना पर तत्काल मौके पर पहुंचकर कार्यवाही करती थी। कोडरेड पुलिस का यह दस्ता कन्या स्कूलों के आसपास जमघट लगाकर खड़े तत्वों पर कार्यवाही करता था। इससे से आसपास का वातावरण अच्छा बना रहता था।
बच्चियों के स्कूलों की दीवारों से लगे हैं टपरे
कुछ स्कूलों, विशेषकर बालिकाओं के स्कूलों जैसे महारानी लक्ष्मी बाई राइट टाउन, के ठीक बगल में ये टपरे लगे हुए हैं। नगर निगम की नाक के नीचे स्थित इन ठेलों को देखकर भी अधिकारी अनदेखा करते हैं, जिससे प्रतीत होता है कि उनकी आंखों में पट्टी बंधी हुई है।
बच्चियों को शर्मसार होना पड़ता है
स्कूलों के पास स्थित इन ठेलों पर अक्सर आवारा और मनचले लड़के जमा रहते हैं। छात्राओं की छुट्टी के समय वे वहां खड़े होकर छींटाकशी करते हैं, जिससे कई बार छात्राओं को शर्मसार होना पड़ता है।
नगर निगम और सरकारी स्कूलों के पास की समस्या
सरकारी और नगर निगम स्कूलों जैसे रानी ताल स्थित प्राथमिक शाला, गोविंदगंज विद्यालय, और महारानी लक्ष्मी बाई कन्या शाला के पास भी ये टपरे लगे हुए हैं। इसके अलावा, प्राइवेट स्कूलों जैसे सेंट नॉरबर्ट और गढ़ा हितकारणी कन्या शाला के पास भी ये ठेले मौजूद हैं।
लड़कों के स्कूलों के पास के ठेलों का गलत प्रभाव
लड़कों के स्कूलों के पास भी वे चाय पान के ठेले हैं, जहां छोटे उम्र के बच्चे सिगरेट पीते और गुटखा खाते हुए देखे जा सकते हैं। कई स्कूल प्रिंसिपलों और शिक्षकों ने इन ठेलों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कई बार पत्र लिखे हैं, लेकिन कोई असर नहीं हुआ है।
100 मीटर के नियमों की अनदेखी
जिला प्रशासन और नगर निगम प्रशासन द्वारा वह नियम बनाया गया है कि स्कूलों के आसपास कम से कम 100 मीटर की दूरी पर चाय पान की दुकान होनी चाहिए। इस नियम के उल्लंघन पर अपराधिक मामले दर्ज करने तक का प्रावधान है, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है।
जिम्मेदार अधिकारियों का जवाब न मिलने से बढ़ रही समस्याएं
जब जिला शिक्षा अधिकारी और एसडीएम से संपर्क किया गया, तो उनके फोन रिसीव नहीं हुए। वहीं, अतिक्रमण शाखा के प्रभारी सागर बोरकर का कहना है कि यह यातायात व्यवस्थाओं में व्यस्त हैं और जैसे ही समय मिलेगा, वे इस पर ध्यान देंगे।
अंधेरा होते ही शुरू होती है अवैध गतिविधियां
शाम ढलते ही यहां पर अन्य गतिविधियां चालू हो जाती हैं। जिसमें बाकायदा टपरे की आड़ में शराब खोरी एवं अन्य गतिविधियां भी शुरू हो जाती है जो देर रात तक चालू रहती है। जिसके कारण अवैध गतिविधियां संचालित होती है।