हरियाणा विधानसभा 52 दिन पहले भंग: देश के इतिहास में संवैधानिक संकट का ऐसा पहला मामला

दैनिक सांध्य बन्धु चंडीगढ़। हरियाणा के गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय ने 52 दिन पहले विधानसभा भंग करने की अधिसूचना जारी की। यह कदम भाजपा सरकार की सिफारिश पर उठाया गया और इससे देश के इतिहास में पहली बार संवैधानिक संकट उत्पन्न हुआ है। इस कदम के तहत हरियाणा विधानसभा को समय से पहले भंग किया गया, जबकि विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक था। यहां हम इस फैसले से जुड़े प्रमुख सवाल-जवाब प्रस्तुत कर रहे हैं:

1. विधानसभा भंग क्यों करनी पड़ी?

   संविधान के अनुच्छेद 174(1) के तहत किसी राज्य की विधानसभा के दो सत्रों के बीच 6 महीने से ज्यादा का अंतराल नहीं होना चाहिए। हरियाणा में 13 मार्च 2024 को एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था, जिसके बाद 6 महीने के भीतर दूसरा सत्र बुलाना अनिवार्य था। सरकार ऐसा नहीं कर पाई, जिसके कारण विधानसभा भंग करनी पड़ी।

2. सरकार ने सेशन क्यों नहीं बुलाया?

   - चुनावी आचार संहिता: 16 अगस्त को चुनाव आचार संहिता लागू हो गई, जिससे सरकार ने सेशन बुलाने का समय खो दिया।

   - असंतोष और बहुमत का संकट: भाजपा ने 14 विधायकों के टिकट काट दिए थे, जिससे विधानसभा में बहुमत की स्थिति अस्थिर हो गई और सरकार किसी प्रस्ताव को पेश करने से बचना चाहती थी।

3. सरकार के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था?

   संविधान के प्रावधान के अनुसार, पिछली और अगली विधानसभा सत्र के बीच 6 महीने से अधिक का अंतराल नहीं होना चाहिए। चूंकि सरकार ने मानसून सत्र को लेकर कोई फैसला नहीं लिया था, विधानसभा भंग करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

4. इस फैसले का CM, मंत्रियों और विधायकों पर क्या असर होगा?

   - विधायकों का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा और वे पूर्व विधायक कहलाएंगे।

   - CM नायब सैनी और मंत्री कार्यवाहक के रूप में काम करेंगे लेकिन नीतिगत फैसले नहीं ले सकेंगे। आपात स्थिति में निर्णय लेने की अनुमति होगी।

5. हरियाणा में पहले भी विधानसभा भंग हुई है?

   - फरवरी 1972: कांग्रेस सरकार के बंसीलाल ने एक साल पहले विधानसभा भंग की।

   - दिसंबर 1999: इनेलो सरकार के ओमप्रकाश चौटाला ने 16 महीने पहले विधानसभा भंग की।

   - अगस्त 2009: कांग्रेस सरकार के भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने समय से पहले चुनाव कराने के लिए विधानसभा भंग की।

हरियाणा में अब 15वीं विधानसभा के गठन के लिए चुनाव की तारीखें तय हो चुकी हैं। वोटिंग 5 अक्टूबर को होगी और परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।

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