दैनिक सांध्य बन्धु चंडीगढ़। हरियाणा में कांग्रेस 40 सीटों पर आगे और भाजपा 18 सीटों पर दिख रही है, जबकि 23 सीटों पर कड़ी टक्कर है। इनेलो और निर्दलीय चार सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। जाट और दलित वोट बंटने से भाजपा को लाभ हो सकता है।
प्रॉपर्टी ID और पोर्टल का मुद्दा
प्रदेश में प्रॉपर्टी ID और पोर्टल से हुई परेशानियों ने चुनावी माहौल को प्रभावित किया है। 50-60 साल पुराने मकानों पर लाखों की रिकवरी के कारण प्रॉपर्टी डीलर्स और आम लोगों में नाराजगी है। कांग्रेस इसे चुनावी मुद्दा बना रही है, जबकि भाजपा ने इसे भ्रष्टाचार खत्म करने का औजार बताया है।
प्रमुख पार्टियों की स्थिति
कांग्रेस 40 से 42 सीटों पर मजबूत स्थिति में है। भाजपा 16 से 25 सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है। निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों के लिए भी कुछ सीटों पर संभावनाएँ हैं।
बागियों की भूमिका
भाजपा और कांग्रेस दोनों बागियों की समस्या से जूझ रही हैं। भाजपा के 33 और कांग्रेस के 29 बागी चुनाव मैदान में हैं। बागियों की मौजूदगी से दोनों पार्टियों को नुकसान हो सकता है।
क्षेत्रवार स्थिति
1. जीटी रोड बेल्ट: भाजपा के लिए यह गढ़ बचाना मुश्किल होगा।
2. अहीरवाल बेल्ट: राव इंद्रजीत के खिलाफ विरोध स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
3. साउथ हरियाणा: यहां मुकाबला तगड़ा है, विशेषकर फरीदाबाद में।
4. बांगर बेल्ट: बड़े चेहरों के आमने-सामने होने से स्थिति रोचक रहेगी।
5. देशवाल बेल्ट: हुड्डा का दबदबा कायम रहने की उम्मीद।
6. बागड़ बेल्ट: यहां मिलेजुले नतीजों की संभावना।
7. मेवात: मुस्लिम समुदाय कांग्रेस के साथ रह सकता है।
विशेषज्ञों की राय
वेटरन जर्नलिस्ट विजय सभरवाल ने कहा कि भाजपा के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी है, जबकि राजनीतिक विश्लेषक डॉ. भारत ने कांग्रेस की अंतर्कलह को नुकसानदायक बताया।
इस चुनाव में मतदाताओं के मन में भाजपा के प्रति असंतोष और कांग्रेस की गुटबाजी के चलते दोनों पार्टियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।