दैनिक सांध्य बन्धु नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की बेटी रूबीना फ्रांसिस ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में महिला 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया है। 25 साल की रूबीना अब तक छह से अधिक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में खेल चुकी हैं। उनके इस असाधारण प्रदर्शन के बाद उनके माता-पिता ने बातचीत के दौरान अपनी भावनाएं साझा कीं।
प्रधानमंत्री ने बढ़ाया हौसला
रूबीना की मां सुनीता फ्रांसिस ने बताया कि गन फॉर ग्लोरी अकादमी से फोन आया था, जिसमें उनकी बेटी की कांस्य पदक जीतने की खबर दी गई। उन्होंने कहा, "मैं इस खुशी को व्यक्त नहीं कर सकती। प्रधानमंत्री ने मेरी बेटी की काफी हौसला बढ़ाया।" उन्होंने यह भी बताया कि जब रूबीना सेंट अलायसियस स्कूल में पढ़ाई करती थी, तब गन फॉर ग्लोरी अकादमी की प्रतिभा खोज स्पर्धा में चयन हुआ था।
संघर्ष और प्रेरणा की कहानी
रूबीना का सफर संघर्षों से भरा रहा। उनके पिता साइमन फ्रांसिस एक मैकेनिक हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। बावजूद इसके, गन फॉर ग्लोरी अकादमी ने निशुल्क प्रशिक्षण दिया और रूबीना ने निशानेबाजी में अपनी जगह बनाई। रूबीना की मां ने बताया, "पिता ने शुरुआत में मना कर दिया था क्योंकि हमारे पास इस खेल के लिए पैसे नहीं थे, लेकिन बाद में हमें समझाया गया और अकादमी ने समर्थन दिया।"
पिता का सपना हुआ साकार
रूबीना के पिता ने कहा, "हम टीवी देख रहे थे, तभी गन फॉर ग्लोरी अकादमी से फोन आया और उन्होंने बधाई देते हुए जानकारी दी कि बेटी ने मेडल जीता है। रूबीना की मेहनत ने यह पदक दिलाया और उसने हमारा सपना साकार किया।"
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से मिली सराहना
रूबीना की इस अद्वितीय उपलब्धि पर मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, "यह जीत संघर्ष से सफलता तक के मार्ग को प्रकट करती है और प्रदेश के युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।"
गरीबी और दिव्यांगता को हराकर मिली सफलता
रूबीना का बचपन गरीबी में बीता और जन्म से ही उनके दोनों पैर तिरछे थे। परिवार ने उनका इलाज कराया, लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाया। 2014 में 'गन फॉर ग्लोरी शूटिंग अकादमी' के प्रतिभा खोज चयन स्पर्धा से उन्होंने निशानेबाजी की शुरुआत की और आज वह मुंबई आयकर विभाग में निरीक्षक पद पर कार्यरत हैं।
एक प्रेरणा का स्रोत
रूबीना की सफलता ने न केवल जबलपुर, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश और भारत को गर्वित किया है। उनकी कहानी दिखाती है कि दृढ़ निश्चय, कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उनका यह पदक उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।