दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर अनिरुद्ध सिंह लेखक/पत्रकार। भाषा मात्र राष्ट्र की पहचान भर नहीं है, बल्कि संपूर्ण राष्ट्र को बांधने वाला एक मजबूत धागा है, जो देश को एक माला में पिरोए रहता है। भाषा दो व्यक्तियों की भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम होने के साथ ही, किसी भी देश की आवाज है भाषा । और शायद इसीलिए महात्मा गांधी ने कहा था कि "भाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है"। एक अखंड एवम समृद्धशाली राष्ट्र के लिए उसकी अपनी एक भाषा का होना नितांत आवश्यक है। भाषा राष्ट्र को संस्कृति एवम वैचारिक सूत्र में पिरोती है, जो राष्ट्र को शक्तिशाली बनाती है। सभी देशों की अपनी एक भाषा होती है, और यही उनकी पहचान भी होती है।
भाषा मात्र राष्ट्र की पहचान भर नहीं है, बल्कि संपूर्ण राष्ट्र को बांधने वाला एक मजबूत धागा है, जो देश को एक माला में पिरोए रहता है। भाषा दो व्यक्तियों की भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम होने के साथ ही, किसी भी देश की आवाज है भाषा । और शायद इसीलिए महात्मा गांधी ने कहा था कि "भाषा के बिना राष्ट्र गंगा है "। एक अखंड एवम समृद्धशाली राष्ट्र के लिए उसकी अपनी एक भाषा का होना नितांत आवश्यक है। भाषा राष्ट्र को संस्कृति एवम वैचारिक सूत्र में पिरोती है, जो राष्ट्र को शक्तिशाली बनाती है। सभी देशों की अपनी एक भाषा होती है, और यही उनकी पहचान भी होती है।
भाषा की इसी महत्ता को देखते हुए 1947 में जब भारत आजाद हुआ, तब कार्यकारी सरकार में भी भाषा को लेकर हिंदी को राजभाषा के रुप में स्वीकार्यता के विषय में गहन विचार विमर्श हुआ। और 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार करने का निर्णय लिया।, तदुपरान्त संविधान की धारा 343 से लेकर 351 मे इसे संविधान में वर्णित किया गया। और राष्ट्र भाषा प्रचार समिति वर्धा ने इस दिन को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने की अनुशंसा की। और तभी से 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत हुई।
महात्मा गांधी ने 1918, के हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी को राजभाषा बनाने की बात कही। उन्होने हिन्दी को जनमानस की भाषा भी कहा ।हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार्यता इसलिए भी जरूरी समझी गई क्योंकी, हिंदी भारतवर्ष के एक बड़े भूभाग में बोली जाती है, वर्तमान के संदर्भ में यदि हम बात करें तो ये 11 राज्यों और तीन केंद्रशासित से राज्यों की आधिकारिक भाषा हिंदी ही है। हिंदी ने भूमिका निभाई एक संपर्क भाषा के रूप में तथा आंदोलनकारियों को एक सूत्र में जोड़ के रखने में।
जनांदोलन में हिन्दी की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए रविंद्रनाथ टैगोर ने कहा था की", भारतीय भाषाएं यदि नदियां हैं तो, हिन्दी महानदी। हिन्दी के विषय में एक रोचक तथ्य ये है कि ये शब्द मूलतः फारसी भाषा से आया है। हिंदी लगभग डेढ़ हजार वर्ष पुरानी भाषा है, और आज पूरी दुनिया में इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है एक अनुमान के अनुसार 2030 तक हर पांचवा व्यक्ति हिन्दी बोलेगा। आज लगभग 65 फीसदी से अधिक आबादी हिंदी का प्रयोग करती है, इनमे 10 फीसदी वो आबादी है, जिनकी दूसरी भाषा हिंदी है। विश्व में प्रयोग की जा रही भाषाओं में हिंदी चौथे स्थान पर है, जबकि पहले स्थान पर मंडारिन, फिर स्पेनिश और तीसरे स्थान पर अंग्रेजी है। विश्व हिन्दी सचिवालय का कार्यालय मारिशस में खोलना हिन्दी की स्वीकार्यता के साथ साथ प्रौद्योगिकी से जोड़ने की दिशा में एक सतत प्रयास की कड़ी है।
हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की सातवीं भाषा का दर्जा दिलाने के प्रयास भी जारी है। विश्व के लगभग 170 विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है। इसके साथ ही दुनिया भर में साहित्य के साथ साथ विज्ञान आदि विषयों की पुस्तकें भी लिखी जा रही है। वर्तमान समय का एक लोकप्रिय माध्यम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर भी हिन्दी साहित्य सर्च किया जा रहा है। सोशल मीडिया में हिन्दी के प्रति जबरजस्त रुझान तब सामने आया जब यूनिकोड आया और तब गूगल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 2009 में हर साल 94 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज, हुई।'
सोशल मीडिया में हिन्दी की रफ़्तार को पंख तब और लग गए जब वर्ष 2000 में वेब पोर्टल आया विविधताओं से भरे भारत में एक भाषा के रूप में हिन्दी की मौजूदगी बेहद अहम हो जाती है। और उसकी इस अहमियत के पीछे एक महत्त्वपूर्ण वजह ये भी है कि, हिंदी बेहद सरल भाषा है। विश्व में सबसे अधिक भाषा और बोलियों वाला देश भारत ही है, जहां लगभग 460 से ज्यादा भाषाएं और बोलियां बोली जाती है, इनमे से दर्जन भर से ज्यादा विलुप्त भी हो चुकी है। इतिहासकार मानते हैं की हिन्दी साहित्य की प्रथम प्रमाणिक रचना "पृथ्वीराज राज रासो" को मानते हैं, और चंदबरदाई को हिंदी साहित्य का पहला कवि माना जाता है।
वहीं दूसरी ओर ऐसा मानने वाले इतिहासकार भी है जो कि हिन्दी साहित्य की पहली रचना फ्रांसीसी लेखक ग्रासिन द तैसी ने "इस्तवार द ला लितरेत्युर एंदुई ऐ एंदुस्तानी " को मानते हैं। जो कि 1839 में प्रकाशित हुई। और हिन्दी साहित्य की पहली कविता अमीर खुसरो ने लिखी थीं। हिंदी भाषा का पहला शोध कार्य" बाल्मिकी और रामचरित मानस एक तुलनात्मक अध्ययन " को इटली के लुइजे तीसोपेरी ने 1911, में प्रस्तुत किया जो की इटालियन भाषा में था ।
बताते हैं कि इसी का अंग्रेजी अनुवाद 1918 में "द थियोलाजी ऑफ तुलसीदास" के नाम से किया गया जिसे लंदन विश्वविद्यालय में एक ब्रिटिश जे आर कारपेंटर ने प्रस्तुत किया। हिन्दी के रोचक तथ्यों में एक बात ये भी है कि हिंदी का पहला एम ए डिग्रीधारी व्यक्ती भी एक अहिंदी भाषी नलिन सान्याल थे। इसमे कोई शक नहीं की हिंदी के प्रारंभिक दौर से ही विदेशी लोगों ने ना सिर्फ हिंदी को सराहा बल्कि उसमे अपना योगदान भी दिया।
एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण में बेहद आवश्यक है, और हमे इस कड़ी भाषा को मजबूत करने के लिए युवाओं को आगे आना चाहिए। हिंदी बाहरी और आंतरिक चुनौतियों से पार पाते हुए, आज देश मे मजबूती से स्थापित हो रही है, क्योंकी हिंदी की एक सबसे महत्त्वपूर्ण खूबसूरती ये है कि ये बेहद सरल है, और दूसरी खूबसूरती ये है कि विदेशी शब्दों को अपने में समायोजित करने की अदभुद क्षमता है। आइए हम सब मिलकर हिंदी को भारत की पहचान बनाने के लिए हिंदी का अधिक से अधिक उपयोग कर और कड़ी से कड़ी जोड़कर भाषा के मजबूत धागे में, देश को एक माला के रूप जोड़ने में अपना योगदान दें। जयहिंद