समारोह के दौरान प्रो. सुरेश के चार साल के कार्यकाल की सराहना करते हुए, स्टाफ ने उनके योगदान की प्रशंसा की। इस अवसर पर एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई, जिसमें उनके कार्यकाल के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया गया। प्रो. सुरेश ने अपने संबोधन में इसे फेयरवेल के बजाय एक 'इंटरवल' बताया और कहा कि वे विश्वविद्यालय के सभी लोगों से मिले स्नेह को अपनी सबसे बड़ी पूंजी मानते हैं।
इस मौके पर प्रो. सुरेश ने दो महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। उन्होंने विश्वविद्यालय के पुस्तकालय विभाग को 1 लाख 25 हजार रुपये की पुस्तकें भेंट कीं। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की कि विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के बच्चों में से जो सबसे अधिक अंक प्राप्त करेगा, उसे स्वर्ण पदक प्रदान किया जाएगा।
अपने कार्यकाल की उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए, उन्होंने विश्वविद्यालय की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने उल्लेख किया कि विश्वविद्यालय माखनपुरम बिशनखेड़ी परिसर में शिफ्ट हुआ, रीवा परिसर अपने नए भवन में स्थानांतरित हुआ, और विश्वविद्यालय पहली बार टॉप टेन रेटिंग में शामिल हुआ।
समारोह के दौरान कुलसचिव प्रो. (डॉ.) अविनाश वाजपेयी और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सहायक कुलसचिव श्री विवेक सावरीकर ने किया।