दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जहां एक ओर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने 60 हजार पुलिस कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है, वहीं मध्य प्रदेश में अभी भी सभी थाने पुलिस बल की भारी कमी से जूझ रहे हैं। जबलपुर के प्रमुख थानों, जैसे यातायात थाना, कोतवाली, लॉर्ड गंज, ओमती, घमापुर, और बेलबाग, में स्वीकृत पुलिस बल की तुलना में कर्मियों की संख्या काफी कम है। इस कारण से कानून व्यवस्था बनाए रखने में समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। यह स्थिति केवल शहरी थानों की ही नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के थानों की भी है।
ग्रामीण थानों में स्वीकृत बल से कम बल
ग्रामीण थानों जैसे बरगी और शाहपुरा में 90 पुलिसकर्मियों का स्वीकृत बल है, लेकिन वास्तव में यह संख्या बहुत कम है। वहीं, शहर के कई थानों में 140 पुलिसकर्मियों का स्वीकृत बल है, लेकिन कई थाने 70 कर्मियों के साथ चल रहे हैं। कोतवाली और ओमती जैसे थानों में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अधिक बल की आवश्यकता है, लेकिन यहां भी बल की कमी बनी हुई है।
नियमित ड्यूटी के कारण बल की उपलब्धता में कमी
इन थानों में जहां कम बल उपलब्ध है, वहां नियमित ड्यूटी के तहत पुलिसकर्मी कोर्ट मोहीरर्रि, वारंट तामिली, और वाहन चालक के रूप में कार्यरत रहते हैं। इसके अलावा, कुछ पुलिसकर्मी नियमित छुट्टी पर भी रहते हैं, जिससे थानों में केवल 45% बल ही उपलब्ध रहता है।
एफआरबी 100 डायल में कर्मठ पुलिस कर्मियों की तैनाती
कई कर्मठ पुलिसकर्मियों को एफआरबी 100 डायल में तैनात कर दिया गया है, जिनका बदमाशों पर खौफ था और मुखबिरों के साथ गहरा संबंध था। इससे थानों का मुखबिर तंत्र उतना कारगर साबित नहीं हो रहा है जितना होना चाहिए।
बल की कमी से अपराधिक घटनाओं में वृद्धि
पुलिस बल की कमी के कारण गश्त और पॉइंट ड्यूटी पर पुलिसकर्मी तैनात नहीं हो पा रहे हैं। इसका परिणाम यह है कि शहर में अपराधों, जैसे हत्या, चाकूबाजी और चोरी की घटनाओं में अचानक वृद्धि हुई है, जिससे कानून व्यवस्था पर संकट उत्पन्न हो गया है।