Jabalpur News: शक्तिविहीन हुआ शक्ति भवन, मध्य प्रदेश विद्युत मंडल का शक्ति भवनः कभी ऊर्जा का केंद्र, अब केवल एक भवन

शक्तिविहीन हुआ शक्ति भवन, मध्य प्रदेश विद्युत मंडल का शक्ति भवनः कभी ऊर्जा का केंद्र, अब केवल एक भवन
दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जबलपुर का प्रसिद्ध शक्ति भवन, जिसे कभी मध्य प्रदेश विद्युत मंडल की शक्ति का प्रतीक माना जाता था, अब अपनी पुरानी चमक खो चुका है। कभी इस भवन में 14 से 15 हजार कर्मचारी कार्यरत थे, लेकिन वर्तमान में केवल 4200 से 4500 कर्मचारी बचे हैं। इस कमी के कारण भवन अब केवल एक प्रतीकात्मक संरचना बनकर रह गया है।

पुरानी बिल्डिंग आज खंडहर होने की कगार पर

म. प्र. की सबसे पुरानी बिल्डिंग जिसमें जबलपुर में जब 1948 में जे शु जिसका पुरा नाम जबलपुर इलेक्ट्रिक कारपोरेशन लिमिटेड नाम से बिजली विभाग का मुख्यालय हुआ करता था, जिसे शक्ति भवन बनने के बाद विद्युत विभाग का क्षेत्रीय कार्यालय बना दिया गया। लेकिन अब इस बिल्डिंग की हालत धीरे धीरे खंडहर होता जा रहा है। बिजली विभाग को चाहिए की इस बिल्डिंग को धरोहर के रूप संरक्षित करें।

1989 में हुआ था लोकार्पण

शक्ति भवन का निर्माण 1982 में शुरू हुआ और 19 अगस्त 1989 को इसका लोकार्पण किया गया। यह भवन करीब 15 हेक्टेयर में फैला हुआ है और इसका निर्माण 48 एकड़ भूमि पर हुआ था। तत्कालीन ऊर्जा मंत्री बसंत साठे ने इस भवन का उद्घाटन किया था और इसका नाम "शक्ति भवन" रखा गया।

पर्यावरण वास्तु और वाटर हार्वेस्टिंग का उत्कृष्ट उदाहरण है शक्ति भवन

इस भवन की वास्तुकला को पहाड़ी के प्राकृतिक स्वरूप को बिना नुकसान पहुँचाए डिजाइन किया गया था। आर्किटेक्ट बी.के. दोषी द्वारा डिजाइन किए गए इस भवन में ठंडक बनाए रखने एवं जल संरक्षण के लिए भी विशेष ध्यान दिया गया है, श्री बी.के. दोषी को उनकी इस उत्कृष्ट वास्तुकला के लिया भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था।

कर्मचारियों की घटती संख्या से रौनक हुई खत्म

शक्ति भवन में कर्मचारियों की संख्या धीरे-धीरे कम होती गई, और सेवानिवृत्ति के बाद नई भर्तियां न होने के कारण भवन की रौनक खत्म हो गई। कभी जहाँ 14 से 15 हजार कर्मचारी कार्यरत थे, आज वहाँ सिर्फ 4200 से 4500 कर्मचारी बचे हैं। वर्तमान समय में विद्युत मंडल अधिकतर संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारी पर निर्भर हो चुका है। जिससे सकती भवन में कर्मचारियों की आवा-जाही कम हो चुकी है, अब शक्ति भवन में चहल-पहल कम नजर आती है।

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