दैनिक सांध्य बन्धु रांची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवारवादी राजनीति को देश के युवाओं के लिए खतरा बताते हुए लाल किले से आह्वान किया कि वे एक लाख युवाओं को राजनीति में लाने का प्रयास करेंगे, जिनका परिवार राजनीति में नहीं है। उन्होंने कहा कि परिवारवाद युवा पीढ़ी के अवसरों पर हावी हो रहा है।
झारखंड विधानसभा चुनाव में परिवारवाद का मुद्दा जोर-शोर से उभर कर सामने आया है। झामुमो, कांग्रेस और भाजपा सभी पार्टियों ने बड़ी संख्या में अपने नेताओं के परिवारों को टिकट दिए हैं। कांग्रेस ने अपने कोटे की 30 में से 9 सीटों पर परिवार के लोगों को उतारा है, जबकि झामुमो ने 43 में से 9 और भाजपा ने 68 में से 18 सीटों पर परिवार के उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
इस बार की चुनावी दौड़ में 6 बहुएं सियासी विरासत संभाल रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन की दो बहुएं और कई अन्य नेताओं की बहुएं अपने-अपने क्षेत्रों में चुनावी दावेदारी ठोंक रही हैं।
बिहार के चार उपचुनावों में भी I.N.D.I.A और NDA ने परिवार के सदस्यों को ही उम्मीदवार के रूप में उतारा है। इसका प्रमुख कारण पार्टियों की जीतने वाले उम्मीदवारों की चाहत बताई जा रही है।
वरिष्ठ पत्रकारों के अनुसार, आज हर पार्टी जीतने वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दे रही है। इसलिए परिवारवाद का चलन बढ़ रहा है, जो कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर डाल सकता है।