Jabalpur News: न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल अग्निकांड, जांच रिपोर्ट की नोटशीट देने से राज्य सूचना आयोग का इनकार; हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में 1 अगस्त 2022 को हुए भीषण अग्निकांड ने शहर को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में कई लोगों की जान चली गई थी। हादसे के बाद अस्पताल के लाइसेंस जारी करने में कथित अनियमितताओं की बात सामने आई, जिसके कारण राज्य शासन ने जांच के लिए संभागायुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी।

इस मामले में अधिवक्ता विशाल बघेल, जो जबलपुर के निवासी हैं, ने लोक स्वास्थ्य विभाग में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत जांच रिपोर्ट और कार्रवाई की नोटशीट मांगी थी। इसके लिए उन्होंने विभाग में आरटीआई आवेदन दाखिल किया, लेकिन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में, उन्होंने राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील दायर की।

15 अक्टूबर 2023 को द्वितीय अपील की सुनवाई करते हुए, राज्य सूचना आयोग ने विभाग को आदेश दिए कि दो सप्ताह के भीतर अग्निकांड की जांच रिपोर्ट अपीलार्थी को प्रदान की जाए। हालांकि, आयोग ने यह स्पष्ट किया कि अपीलार्थी द्वारा मांगी गई नोटशीट को गोपनीय दस्तावेज की श्रेणी में रखा गया है और इसे लोकहित में जारी नहीं किया जा सकता।

राज्य सूचना आयोग के इस निर्णय के बाद, अधिवक्ता विशाल बघेल ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी। उन्होंने याचिका में तर्क दिया कि सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत, नोटशीट किसी भी फाइल का अभिन्न अंग होती है और इसे सूचना की परिभाषा में सम्मिलित किया गया है। अधिवक्ता बघेल का मानना है कि नोटशीट से यह पता लगाया जा सकता है कि फाइल को किस अधिकारी ने कब लंबित रखा, किस प्रकार का निर्णय लिया गया, और किन कारणों से यह लंबित रही।

उच्च न्यायालय के जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सूचना आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायालय में याचिकाकर्ता का कहना है कि आयोग द्वारा बिना फाइल देखे, इसे गोपनीय घोषित करना अवैध है और इसके खिलाफ उचित कार्यवाही की जानी चाहिए।

1 अगस्त 2022 को न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में लगी आग से कई लोगों की जान चली गई थी। इस दर्दनाक हादसे के बाद अस्पताल में लाइसेंसिंग और अन्य प्रक्रियाओं की अनियमितताओं पर सवाल उठाए गए थे। जांच रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि होने की आशंका जताई जा रही थी कि लाइसेंस जारी करने में मानकों का पालन नहीं किया गया।

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