Jabalpur News: साल की आखिरी सोमवती अमावस्या पर लोगों ने किया स्नान

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर।
कड़कड़ाती ठंड में साल की आखिरी सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की और नर्मदा में डुबकी लगाकर दान पुण्य किया। तड़के चार बजे से श्रद्धालुओं का नर्मदा तटों पर पहुंचना प्रारंभ हो गया था। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पुण्य सलिला मां नर्मदा के पावन तटों पर डुबकी लगाई। सोमवती अमावस्या को लेकर धर्मावलंबियों में खासा उत्साह रहा। पंडितों के अनुसार चूंकि सोमवार को पड़ी, इसलिए सोमवती अमावस्या भी कहा गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और नर्मदा का स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा करने का भी विधान है। महिलाओं ने पूरी आस्था के साथ इस विधान को पूरा किया। मान्यतानुसार पीपल के वृक्ष में 36 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। अमावस्या पर पूजन से सभी मन्नतें पूरी होती हैं। पंडितों का कहना है कि जिनका चंद्रमा कमजोर है, वह गाय को दही-चाव खिलाएं तो मानसिक शांति मिलेगी। 

सोमवती अमावस्या का पुराणों में विशेष महात्म्य बतलाया गया है। सोमवती अमावस्या भी स्नान दान का पर्व है। धार्मिक ग्रन्थों में उल्लेख है कि इस दिन स्नान-दान करने से पापों का नाश होता है। इस दिन व्रत रहकर मौन स्नान-दान करने से सन्तान को सुख एवं परिवार में शांति व सम़ृद्धि बनी रहती हे। स्त्रियों को वैधव्य नहीं होता और चिरकाल तक सौभाग्य मिलता रहता है। अमावस्या पितृकार्य का दिन है और चन्द्रलोक ही पितृलोक का निवास स्थान है। अत: अमावस्या के दिन सोमवार का पड़ना विशेष पुण्यकाल का योग माना जाता है। 

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