दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जबलपुर में सड़क हादसे के बाद ब्रेनडेड घोषित किए गए 61 वर्षीय पुजारी बलिराम कुशवाहा के अंगदान से दो मरीजों को नई जिंदगी मिलने की उम्मीद है। बलिराम के हार्ट को भोपाल के एम्स और लिवर को इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल भेजा गया।
ग्रीन कॉरिडोर से हार्ट और लिवर की समय पर डिलीवरी
डुमना एयरपोर्ट से भोपाल एम्स तक हार्ट को भेजने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। वहीं, लिवर को इंदौर भेजने के लिए तिलवारा में एक अस्थायी हेलीपेड बनाया गया। एयर एम्बुलेंस के जरिए अंगों को समय पर उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। एम्बुलेंस की अनुपलब्धता के कारण पुलिस ने अपनी गाड़ी का उपयोग कर हार्ट को भोपाल एयरपोर्ट से एम्स तक पहुंचाया।
रोड एक्सीडेंट के बाद ब्रेनडेड घोषित किया गया
बलिराम कुशवाहा का 21 जनवरी को कटंगी रोड पर एक्सीडेंट हुआ था, जिसमें उनकी ट्राइसाइकिल को मोटरसाइकिल सवार ने टक्कर मार दी। गंभीर रूप से घायल बलिराम को जबलपुर के सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां 24 जनवरी को उन्हें ब्रेनडेड घोषित किया गया।
परिवार ने दी अंगदान की सहमति
मृतक के भतीजे विजय पटेल ने बताया कि बलिराम अविवाहित और दिव्यांग थे। डॉक्टरों की सलाह के बाद परिवार ने उनके हार्ट, लिवर और किडनी दान करने की सहमति दी। हालांकि किडनी फेल होने के कारण उसका ट्रांसप्लांट नहीं हो सका।
24 वर्षों में MP में 62 ग्रीन कॉरिडोर, 206 को मिली नई जिंदगी
मध्यप्रदेश में अंगदान की दर अभी भी अन्य राज्यों की तुलना में कम है। पिछले 24 वर्षों में 62 ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से 206 मरीजों को जीवनदान मिला है।
अंगदान की प्रक्रिया और ब्रेनडेड मरीजों की स्थिति
एम्स भोपाल के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. महेंद्र अटलानी ने बताया कि ब्रेनडेड घोषित करने की प्रक्रिया एक विशेषज्ञ कमेटी द्वारा की जाती है। ऐसे मरीजों का मस्तिष्क पूरी तरह काम करना बंद कर देता है, जबकि वेंटिलेटर की सहायता से उनके अन्य अंग कार्यरत रहते हैं। इस स्थिति में अंगदान कर दूसरों को जीवनदान दिया जा सकता है।